बीगोद– कस्बे के क्षैत्रों मे पुरानी परम्परा को जीवित रखते हुए कार्तिक मास प्रराम्भ होने, नये धान, उज्जाली अमावस्या को रोशनी परिवर्तन करने, दीपावली के आवागमन को लेकर बच्चियां लोकगीत गाती।
इस दौरान सिर पर कलश मे प्रज्वलित दीप रखकर घर घर जाकर “आवरो आवरो सहलिया गुल्लीयो गांव चाला घर घर दीप जलाये हर घर खुशियां बांटे लाजे गुल्लीय का लोकगीत गाते हुये धान मांगते, पौराणिक लोक गीत गाते जिस दौरान घरो से महिलाओं द्वारा पैसा, मक्की, गेहूँ, उपहार के चीजें देते। यह लोकगीत परम्परा 15 दिन तक चलती इससे अभी भी गांवों में निभा रहे। इस दौरान लोकगीत गाती अनामिका सोनी, पार्थ सोनी, नव्या सोनी, कृष्णा सोनी, राम सोनी ,परी सोनी, पार्थिका सोनी
(फोटो कैप्सन- कार्तिक मास, नया धान, दीपावली को लेकर लोकगीत गाती बच्चियां) फोटो-प्रमोद कुमार गर्ग