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मुस्कान है होठों पर और दर्द सीने में, एक सांस का अंतर है मरने और जीने में।

 

रिपोर्ट ब्यूरो गोरखपुर

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में दीक्षांत सप्ताह समारोह के अंतर्गत काव्य स्वर कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को दीक्षा भवन में किया गया। जहां गोरखपुर विश्वविद्यालय के युवा रचनाकाओं के साथ शहर के नामचीन कवियों और शायरों की एक मंच पर सजी जुगलबंदी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कवि सुभाष यादव ने “मुस्कान है होठों पर और दर्द सीने में, एक सांस का अंतर है मरने और जीने में” सुनाकर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। शायर कलीम कैसर ने देश भक्ति से भरी नज्म …. ”युगों युगों गूंजे ये नारा केवल एक दो सदी नहीं, भारत जैसा देश नहीं और गंगा जैसी नदी नहीं” नज्म सुनाकर वाहवाही लूटी’। कवि सुभाष यादव ने “मुस्कान है होठों पर और दर्द सीने में, एक सांस का अंतर है मरने और जीने में सुनाकर मुग्ध कर दिया”। कवियित्री चेतना पांडेय ने “किसी नदी को उसकी हद बता के क्या होगा, अगर कूवत है तो सैलाब को मुट्ठी में रखो” सुनाकर दर्शकों में अपनी जोरदार उपस्थित दर्ज कराई। नसीम सलेमपुरी ने “जानता है कि उठेगा कितना राज, फिर ऐसा खोलता क्यों है” तो वसीम मजहर ने “कल तक वो हमसफर था मेरा, अब मेरी हमसफर है तन्हाई” से कवि सम्मेलन को ऊंचाई पर पहुंचाई। मोबाइल बाबा शैलेश मणि त्रिपाठी ने हास्य व्यंग्य के तीर चलाकर श्रोताओं को लोटपोट किया। एकलौती महिला शायर नुसरत अतीक गोरखपुर ने ये माना बुझ चुका है ये तो लेकिन, अभी ‌इस दिल में चिंगारी बहुत है नज्म से युवाओं का ध्यान आकृष्ट किया। युवा कवियित्री आकृति विज्ञा अर्पण ने सुनो बसंती हील उतारो, अपने मन से कील उतारो सुनाकर समा बांध दिया। इनके अलावा वीरेंद्र मिश्र दीपक, जलाल समानी, विनय दीक्षित ने भी अपनी रचनाएं सुनाई।

कार्यक्रम का शुभारंभ संयोजक और हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो अनिल राय, प्रो रजीउर्रहमान, डॉ कलीम कैसर, प्रो शोभा गौड़ और प्रो नंदिता आईपी सिंह दीप जलाकर किया। संचालन प्रो सुषमा पांडेय ने किया।

युवा रचनाकारों ने भी बांधा समा

कवि सम्मेलन का आयोजन दो सत्रों में किया गया। पहले सत्र में विश्वविद्यालय के रोहन मिश्र, आंकाक्षा, अंशुमान, आदर्श, यशवंत, राजीव प्रताप सिंह, शमसुद्दीन, अमरेंद्र विश्वकर्मा, क्षितिज, ज्ञानेश और अमरेश्वर पांडेय ने अपनी अपनी रचनाओं को सुनाकर समा बांध दिया। कार्यक्रम का संचालन आकृति विज्ञा अर्पण ‌ने किया। दूसरे सत्र में शहर के ख्यातिलब्ध कवियों और शायरों ने म‌हफिल को जमाया। संचालन डॉ कलीम कैसर ने किया।

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