मुदस्सिर हुसैन IBN NEWS
खुदा की इबादत करने से माफ हो जाते हैं गुनाह
रमजान का बरकत वाला पाक महीना शुरू हो गया है। इस महीने में खुदा रोजेदार पर अपनी रहमतों की बारिश करता है। वहीं यह महीना भाईचारे और इंसानियत का पैगाम भी देता है। रोजा सिर्फ दिनभर भूखा रहने का नाम नहीं बल्कि रोजा इंसान को इंसान से प्यार करना सिखाता है। वहीं रोजा गरीब भाइयों से मोहब्बत करने का जज्बा पैदा करता है। भूखे प्यासे रहकर खुदा की इबादत करने वालों के गुनाह माफ हो जाते हैं।
इस माह ए रमजान के बारे में आइशा लिल बनात के प्रिंसिपल हज़रत मौलाना कामिल हुसैन नदवी ने बताया कि रोजा अच्छी जिंदगी जीने का तरीका है। इसमें इबादत कर खुदा की राह पर चलने वाले इंसान का जमीर रोजेदार को एक नेक इंसान के व्यक्तित्व के लिए जरूरी हर बात की तरबियत देता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की कहानी भूख, प्यास और इंसानी ख्वाहिशों के इर्द गिर्द घूमती है। रोजा इन तीनों चीजों पर सब्र रखने का पैगाम है। रमजान का महीना तमाम इंसानों के दुख, दर्द और भूख, प्यास को समझने का महीना है ताकि रोजेदारों में भले बुरे को समझने की सलाहियत पैदा हो।