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विन्ध्याचल/मिर्जापुर – प्राण जाए पर वचन न जाए, कन्यादान में शामिल हुए पुरुष बच्चे एवं महिलाएं, वन गमन जाते समय नम हुई आंखें, मंथरा द्वारा ककैई को भड़काना, का भाव विभोर मंचन किया गया

रिपोर्ट विकास चन्द्र अग्रहरि ब्यूरो चीफ मिर्जापुर l
विंध्याचल। मोती झील मार्ग पर स्थित अमर सिंह फैंस एसोसिएशन के प्रांगण में श्री विन्ध्य प्राचीन राम लीला कमेटी की ओर से आयोजित स्वर्गीय रविंद्र नाटक के रामलीला समिति के द्वारा रामलीला के चौथे दिन मंगलवार की सायं काल रात 8:00 बजे श्री राम भगवान एवं लक्ष्मण जी का आरती भाजपा के वरिष्ठ नेता मणि शंकर मिश्र एवं समाज सेविक लाल भट्ट ने आरती पूजन कर लीला का शुभारंभ किया। श्री राम भगवान एवं सीता माता का कन्यादान का मंचन किया गया जिसमें समिति के समस्त पदाधिकारी के सदस्य एवं लीला प्रेमी महिलाएं पुरुष एवं बच्चों ने माता सीता देवी के कन्यादान किया मंचन के दूसरे दृश्य में भगवान परशुराम एवं लक्ष्मण का संवाद हुआ जिसमें राजा जनक के दरबार में सीता स्वयंवर के समय शिव धनुष टूटते ही ब्राह्मण में बिजली जैसी चमक उठी बिंदु पहाड़ पर परशुराम साधना में लीन थे उनकी आंखें खुलते ही जनक के दरबार में पहुंचते हैं कहते हैं कि यह शिव धनुष तोड़ने वाला अपराधी कौन है क्या करते हुए दरबार में लक्ष्मण जी उनका बातों को समझाते हैं कहते हैं या धनुष तोड़ने वाला आपका ही शिष्य हो सकता है। परशुराम जब क्रोधित हो जाते हैं तो भगवान श्री राम भगवान उनको समझाते हैं और परशुराम मान जाते हैं। राजा दशरथ के द्वारा अयोध्या में श्री राम भगवान का राज्याभिषेक होने की घोषणा करते हैं। तत्पश्चात मंथरा ने रानी कैकई को इसकी सूचना देते हुए रानी कई कई को भड़क आती है । ओर कहती है कि रानी अब तो तुम पुत्र दास बनेगा और तुम दासी। क्या कहते हुए कैकई ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने विस्तार से समझाया कहा कि जब देव और राक्षसों में देवासुर संग्राम हुआ था तो राजा दशरथ देवता की तरफ से युद्ध करने के लिए गए थे और तुम उनके सारथी। युद्ध के दौरान दशरथ घायल हो गए थे तो तुम बड़ी कुशलता से उनकी प्राणों की रक्षा की थी तब राजा दशरथ ने खुश होकर तुमको दो वरदान मांगने को कहे थे और तुम कहा था कि समय आने पर मैं मांग लूंगी अब समय आ गया है। तत्पश्चात ककैई कोप भवन में चली जाती है। राजा दशरथ आते हैं तो वार्ता होने के बाद ककैई से कहते है कि रघुकुल सदा रीत चली आई , प्राण जाए पर वचन न जाए , इस पर कैकेई अपनी दो वर मांग लेती है। पहला भारत का राज्य सिंहासन और दूसरा राम को 14 वर्ष का वनवास। राजा दशरथ राम का शपथ ले चुके थे तो वह दो बार पूरा करना पड़ा राम को वनवास भेजने का वचन देते हैं । रामलीला प्रेमी महिलाएं एवं पुरुष बच्चे कन्यादान एवं कई कई संवाद परशुराम लक्ष्मण संवाद एवं राम लक्ष्मण सहित सीता वनवास का दृश्य देख कर भाव विभोर हो उठे वन गमन जाते समय अयोध्यावासी आशु छलक ने लगे इस तरह मंचन पर राम लीला के चौथे दिन हुई। रामलीला में मंच के दौरान कलाकारों द्वारा किया गया। राम की भूमिका में प्रशांत द्विवेदी लक्ष्मण की रजत द्विवेदी राजा दशरथ की भूमिका में राजगिरी जनक की भूमिका में निशु मिश्रा, मंथरा की भूमिका में मनोज शर्मा, कैकेई की भूमिका कसिस यादव, यादव ,सीता की भूमिका में चाहत यादव, कौशल्या की भूमिका में सीमा यादव, परशुराम की भूमिका में कन्हैया लाल द्विवेदी, व्यास की भूमिका गोपी नाथ मिश्रा, ने कुशल संगत किया। मंच का संचालन रवि मिश्रा एवं अमन गोस्वामी ने किया इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष एवं पूर्व अध्यक्ष मंत्री कोषाध्यक्ष एवं निरीक्षक उपाध्यक्ष मीडिया प्रभारी सहित संस्था के पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद रहे।

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