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मोहर्रम: इसी महीने में दी थी हजरत इमाम हुसैन ने 72 साथियों के साथ शहादत

 

IBN विषेश: इस्लामी कैलेण्डर का पहला महीना है। मोहर्रम महीने की एक तारीख यानि 20 जुलाई से शुरू हो गया है। यह महीना इस्लाम धर्म के लोगो के लिये बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मोहर्रम की दसवीं तारीख को यौमए अशूरा के नाम से जाना जाता हैं। यह दिन इस्लाम धर्म का प्रमुख दिन होता हैं। इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। हजरत इमाम हुसैन का पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। इमाम हुसैन की शहादत मोहर्रम महीने के दसवीं तारीख को हुई थी जिसे अशूरा कहा हाता है।

*आइये जानते है कि भारत में अशूरा कब है और इसका ऐतिहासिक महत्व क्या है ?

 

मोहर्रम की दसवीं तारीख को यौम ए अशूरा मनाया जाता है। मोहर्रम की शुरूआत इस साल 20 जुलाई से हुई है और अशूरा 29 जुलाई को मनाया जायेगा। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार करीब 14 साल पहले असूरा के दिन कर्बला की लड़ाई में इमाम हुसैन का सिर कलम कर दिया गया। कर्बला की जंग में उन्होंने इस्लाम की रक्षा के लिये अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहादत दी थी। यह जंग इराक के कर्बला में यजीर की सेना और हजरत इमाम हुसैन के बीच हुई थी। तभी से उसी की याद में जुलूस व ताजिया निकालने की पंरपरा है। अशूरा के दिन तैमूरी रिवायत को मानने वाले मुसलमान रोजा नमाज के साथ ताजिया अखाड़ों में दफन या ठण्डा कर शोक मनाते है।

*कब रखते है रोजा शिया समूह के लोग निकालते है ताजिया*

 

इस दिन शिया ताजिया निकालते है, मातम मनाते है। इराक में हजरत इमाम हुसैन का मकबरा है। ताजिया उसी के याद में उसी तरह मनाया जाता है। अशूरा इस्लाम धर्म का कोई त्योहार नही है बल्कि मातम का दिन है। जिसमे मुसलमान 10 दिन तक इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते है।

 

टीम आईबीएन न्यूज

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