रिपोर्ट योगेश श्रीवास्तव
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रशासन द्वारा रिसर्च मेथाडोलॉजी इन मैनेजमेंट साइंस पर आयोजित कार्यशाला के चौथे दिन वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रबंध विभाग के अधिष्ठाता प्रो अविनाश पाथर्डिकर ने वैदिक सिद्धांतों को ध्यान में रखकर शोध कार्य करने का सुझाव दिया।
उन्होंने गीता में लिखे श्लोकों के माध्यम से समझाया कि जो व्यक्ति हमेशा क्रोधित रहता है अथवा जिसमें शीलता एवं आत्म नियंत्रण जैसे गुणों की कमी रहती है।उसका असर उस व्यक्ति के काम और निजी जीवन दोनों पर पड़ता है। साथ ही उन्होंने एक आदर्श शिक्षक के विद्वता, दक्षता, शीलता जैसे गुणों को पहले श्लोक के माध्यम से फिर सांख्यिकीय उपकरणों का प्रयोग करके समझाया। अपने संबोधन में उन्होंने सांख्यिकी उपकरण SPSS और AMOS के प्रयोग के विषय में भी जानकारी दी। इस कार्यशाला की अध्यक्षता व्यवसाय प्रशासन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो ए के तिवारी के द्वारा की गई। कार्यशाला के समन्वयक प्रो ए के यादव ने अथितियों का स्वागत किया।