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रामलला के परिसर में धूमधाम से मनाया गया वसंत पंचमी का त्योहार, लगा 56 भोग, पहली बार पहनाया गया सोने का मुकुट

 

अयोध्या हर साल की तरह इस साल भी अयोध्या में बड़े धूमधाम के साथ बसंत पंचमी बनाया गया है.
इस बसंत पंचमी पर रामलला खूब सजे-धजे दिखाई दिए थे. राम जन्मभूमि पर विराजमान रामलला के दरबार में बसंत उत्सव की आज धूम रही. बसंत पंचमी के त्योहार पर बालस्वरूप में विराजमान रामलला के दरबार में छप्पन भोग परोसे गए और रामलला समिति गर्भ ग्रह में विराजमान चारों भाइयों को नए कपड़े भी पहनाए गए हैं. बसंत पंचमी के मौके पर रामलला को सोने के मुकुट भी पहनाया गया है. जन्मभूमि परिसर में रामलला ने अपने चारों भाइयों के साथ अबीर गुलाल की बसंती होली भी खेली. अबीर गुलाल को पुजारी और सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने भी एक दूसरे को लगाकर एक-दूजे को बसंत पंचमी की बधाई दी.
हर साल रामलला के दरबार में बसंत पंचमी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस बार बसंत पंचमी का रंग और भी चटक हो गया. ऐसा इसलिए क्यों राम जन्मभूमि पर बन रहे मंदिर का निर्माण में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. भगवान श्री राम के एक भक्त ने जन्मभूमि पर विराजमान रामलला को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग अपनी ओर से अर्पित किया. इस भोग को रामलला के दर्शन करने आने आए भक्तों और जन्मभूमि पर राम लला की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी और मंदिर निर्माण कार्य में लगे हुए कार्यदाई संस्था के कर्मचारियों के बीच बांटा गया है.

रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि रामलला के दरबार में बसंत पंचमी बहुत सुंदर ढंग से मनाया गया. आज शनिवार का दिन है और शनिवार के दिन रामलला को नीले रंग का कपड़ा पहनाया गया है. कपड़े पहनाने के बाद उन्हें 56 प्रकार के व्यंजनो का भोग लगाया गया. 56 प्रकार के भोग दिल्ली के एक श्रद्धालु ने रामलला को अर्पण किया है. विराजमान रामलला को भोग लगने के बाद उस प्रसाद का वितरण हुआ. आज विराजमान रामलला की सुंदरता और भी भव्य हो गई, क्योंकि अभी तक जो भगवान का मुकुट लगता था वह सामान्य मुकुट था. आज राम लला को सोने का मुकुट पहनाया गया है. रामलला अलौकिक दिव्य दृश्य दिखाई दे रहे थे. सोने का मुकुट भी लग गया और नया वस्त्र धारण कराया गया.

माघ मास की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का फेस्टिवल मनाया जाता है. शनिवार से बसंत ऋतु शुरू हो जाती है. बसंत को सभी ऋतु का राजा माना जाता है. आज से फागुन का आगमन हुआ है. इस दिन पढ़ने वाले बच्चे मां सरस्वती की पूजा कर उनका आशीर्वाद लेते हैं. संस्कृत विद्यालयों में यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है तो अयोध्या धाम के विभिन्न मठ मंदिरों में भी इसका उत्साह अपने चरम पर रहता है. आज के दिन सभी प्रमुख मठ मंदिरों में विराजमान भगवान के विग्रह को बकायदा नवीन वस्त्र धारण कराए जाते हैं और साथ-साथ उन को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है.

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