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पयामे इंसानियत के बैनर तले जलसा ए सीरतुन्नबी का हुआ आयोजन

 

संवाददाता मुदस्सिर हुसैन IBN NEWS मवई अयोध्या

30/10/2021 मवई अयोध्या – ब्लॉक मवई क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम नेवरा में पैयामे इंसानित के बैनर तले अजीमुश्शान जलसा ए सीरतुन्नबी का आयोजन किया गया, इस जलसे में किसी शायर का कलाम
की तूने मोहम्मद से वफ़ा तो हम तेरे है, यह जहां चीज है क्या? लोह व कलम तेरे है


हुजूर ए अकरम स० अ० से वालीहना अकीदत रखकर अपने जज्बे का किया गया इज़हार, और आशिकाने रसूल व शेदाई ए नवी सरवरे कायनात की बबरकत जात से लोह लगाने की कि गई तलकीन जलसे ए सीरतुन्नबी के किए गए आयोजन में कुछ ऐसा ही माहौल दिखाई दिया। इस जलसे में चारो और से उमड़ी भीड़ जहां इश्के हकिकी का गवाह बनी थी। ग्राम नेवरा के मैदान में जलसा ए सीरतुन्नबी का अहले मोजा की तरफ से किया गया आयोजन हर लिहाज से कामयाबी से हम किनार हुआ, जलसे में मेहमाने खुसूसी की हैसियत से तौहीद आलम नदवी ने अपने आलीमना अंदाज में बयान फरमाते हुए हुजूर ए पाक के पवित्र जीवन पर तफसील से रोशनी डालते हुए कहा कि नवी ए अकरम की विला दत पाक किसी वर्ग विशेष के मफाद में न होकर पूरी अालमे इंसानियत के लिए अजीम नियामत है।

मुहम्मद साहब ने जो अजीम इन्कलाब वरपा किया। उसका मकसद विश्व समाज में फैली बुराइयों को खत्म कर एक मिशाल परिवेश को कायम कर सभी कोम व फिर्के व तबके के बीच प्यार व मोहब्बत की सीख देना है। इंसान की जिंदगी का कोई ऐसा गोशा व हल्का नहीं था। जिसके लिए नवी ए अकरम ने अपने पवित्र आचरण से न बताए हो। आप का मकसद आदर्श समाज की स्थापना है। इस इंसान का कामिल की अजमत व किरदार का आलम यह था कि चांद में दाग धब्बे हो सकते हैं। बर गे गुल पर गिरने वाली शबनम में कसा फत हो सकती है। लेकिन आप के कोल व अमल में हरफ गीरी की कहीं गुंजाइश न थी। आप के रोशन किरदार से प्रभावित होकर मुखालिफ भी आपकी अजमत के कायल हुए, बगैर न रह सके, और उन्हें अपना महबूब तस्लीम कर लिया।

लखनऊ से तशरीफ लाए हज़रत मौलाना कफील अशरफ लखनऊवी, हज़रत मौलाना तौहीद आलम नदवी, कारी बतिन फ़ैज़,ने अपने खतीबाना अंदाज में जलसे में मौजूद लोगों से मुखातिब होकर अपने वतन व मुल्क से उल्फत रखकर समाज में एकता व मोहब्बत कायम करने और फिर्का परस्त ताकतों के हौसले को पस्त करने का पैगाम दिया। उन्होंने मानवता के मर्म को मजहब का मूल मंत्र बताया। इसी परिप्रेक्ष्य में हुजूर पाक के पवित्र जीवन का वाक्या बयान करते हुए बताया कि एक मर्तबा एक यहूदी का जनाजा गुजर रहा था जिसे देखकर आप नवी ए करीम ने खड़े हो गए तो एक सहाबी ने पूछा कि खुदा के रसूल यह तो यहूदी कोम का जनाजा है,इसे देख कर आप क्यों खड़े हो रहे हैं,तो आप ने फरमाया कि हमारे भी पूर्वज तो आदम अ० सलाम की ओलाद है। अगर इस सुन्नत को हम सभी अमली जिंदगी में उतार ले। तो आपस में मोहब्बत व भाईचारगी जिंदगी में हमेशा कायम रहेगी। और हमारी जिंदगी में खुशियों की हमेशा बहार दिखाई देगी।

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