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एफएसएसएआई के आदेश के बावजूद भी जिले में मिठाई की किसी भी दुकानदार ने नही लिखवाई मिठाइयों की उपयोगिता अवधि

 

ब्यूरो चीफ मुकेश मिश्र

हफ्तों हफ्तों तक खुले में चासनी वाली मिठाई और अन्य मिठाईयां रख बेचकर लोगो के स्वास्थ के साथ कर रहे खिलवाड़ दुकानदार

आखिर इसका जिम्मेदार कौन जिले के खाद्य विभाग के अधिकारी अपने ही विभाग के आदेश का पालन कराने में क्यू है लाचार

अंबेडकरनगर – भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) मानव स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सभी प्रकार की मिठाइयों पर उनके निर्माण की तारीख और उपयोग की अवधि लिखना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन यहां इसका पालन कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है।निर्माण की तारीख और उपयोग की अवधि न केवल पैक होने वाले डिब्बों पर लिखी जानी है बल्कि काउंटर पर ट्रे में रखी मिठाइयों पर भी इसका टैग लगाना है। लेकिन यहां यह जानकारी लिखना तो दूर मिठाइयों को खुले में रखकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।


प्रशासन भी देख रहा है और खाद्य सुरक्षा विभाग भी, लेकिन कभी इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं होती। प्रशासन की यह बेपरवाही इस कोरोना काल में लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है।
जनपद मुख्यालय अकबरपुर शहर में ही दो दर्जन के करीब स्टैंडर्ड दुकानें शामिल है जो बेहद ही नामचीन है जिनका जिले स्तर पर काफी नाम है परंतु इन नामचीन दुकानों को भी देखने की फुरसत इन जिम्मेदार अधिकारियों नहीं पड़ती। मध्यम और छोटे स्तर की दुकानों की संख्या २०० से ज्यादा होगी। लेकिन पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किसी के पास नहीं हैं।

खाद्य सुरक्षा विभाग पर इन नियमों के पालन की जिम्मेदारी है, लेकिन विभाग के आला अधिकारियों को ही अभी ऐसे किसी दिशा-निर्देश या नियम-कानून की जानकारी नहीं है। वे स्वयं हैरान हैं कि ऐसा कैसे संभव है। स्थानीय स्तर पर हलवाई या विक्रेता यह कैसे तय कर सकते हैं कि मिठाई की उपयोग सुरक्षित अवधि कितनी मानी जाए। दुकानदारों को भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसलिए अमल तो होने से रहा।छोटे हलवाइयों के यहां तो फ्रीजर तक नहीं हैं।

लड्डू, बरफी और ऐसी ही अन्य मिठाइयों को १५-२० दिन तक या बिक जाने तक रखे रहते हैं। चासनी वाली ज्यादातर मिठाइयों को खुले में ही काउंटर पर रखा जाता है। इनमें धूल-धुआं का मिलना तो सामान्य चीज है, बारिश अन्य मौसम में कीडेे-मकोड़े भी गिरने की खतरा बना रहता है। कई बार नयापन लाने के लिए बासी मिठाई को ही नई के साथ मिलकर मात्रा बढ़ा लेते हैं। हालांकि कुछ मिष्ठान विक्रेता सुरक्षा, सफाई एवं गुणवत्ता का ध्यान रखते हैं, लेकिन बहुत सी दुकानों पर अचानक निरीक्षण में सारी पोल खुल जाएगी। मिठाइयों का निर्माण गंदी और संकरी जगहों पर होता है।

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