ईश्वर और जीव का मिलन हीं रासलीला है
विजय कुमार शर्मा की कलम से
भगवान श्री कृष्ण से बड़ा आज तक कोई भी राजनीतिज्ञ नहीं हुआ मनुष्य को अगर राजनीति करना ही है तो उसे भगवद गीता और महाभारत जैसे ग्रंथों का मनन तथा श्रवण करने के साथ-साथ उनके चरित्र को भी समझना होगा। अगर अपने जीवन को सार्थक बनाना है तो कन्हैया के चरित्र को समझने के साथ साथ उनकी बाल लीलाओं का चिंतन करना होगा।
ईश्वर और जीव का मिलन है।रासलीला है जहां रस ही रस हो उसे ही रस कहते हैं उन्होंने रुक्मिणी विवाह प्रसन्न को सुनाते हुए कहा कि
रुकमणी जी लक्ष्मी जी का अवतार थी और भगवान श्री कृष्ण विष्णु जी के अवतार थे इसी के तहत रुकमणी जी भगवान श्री कृष्ण जी से प्रेम करती थी लेकिन उनके पिता भीष्मक जोकि विदर्भ नरेश थे वह स्वयं रुक्मणी जी का विवाह श्री कृष्ण जी से करना चाहते थे लेकिन उनका पुत्र रुक्मी श्री कृष्ण जी से शत्रुता रखता था इसी कारण वह रुक्मणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने अपने पराक्रम से रुकमणी से प्रेम विवाह किया
बाल व्यास बलराम कृष्ण जी ने गिरिराज पूजन पर प्रकाश डालते हुए कहा भगवान श्री कृष्ण जी ने देवताओं के राजा इंद्र का मान मर्दन कर गोकुल वासियों की रक्षा की और वहां इंद्र की पूजा बंद करा कर गोवर्धन की पूजा करा कर नई व्यवस्था लागू की उन्होंने मानसी गंगा की उत्पत्ति पर भी प्रकाश डाला।
रिपोर्ट विजय कुमार शर्मा ibn24x7news प,च,बिहार