ब्यूरो रिपोर्ट सत्यम सिंह IBN NEWS अयोध्या
अयोध्या कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिले, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है, पर जब मुनाफे पर ग्रहण लगना शुरू हो जाए, तो चेहरों की चमक गायब होनी स्वाभाविक है।
जब बात खेती किसानी में लागत और मुनाफे को लेकर होती है, तो अन्नदाता खुशी-खुशी से मेहनत कर पूरी दम फसलों के उत्पादन पर लगा देता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा फसल हो और उसे लाभ मिल सके, पर जब बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि जैसी दैवीय आपदाओं से खेती किसानी चौपट होती है, तो फिर किसानों का मायूस होना जग जाहिर है।
कुछ ऐसा मेंथा की खेती करने वाले किसानों के साथ हो रहा है रविवार सुबह से ही हो रही बारिश से मेंथा की खेती करने वाले किसानों के चेहरों की रंगत गायब कर दी है। जिन किसानों की मेंथा की फसल पिछेती है, उनके लिए फसल काट कर तेल निकालने की राह में बारिश खलनायक बनी हुई है।
जो किसान अभी तक मेंथा की फसल काट कर उससे तेल नहीं निकलवा पाए हैं, उनकी मुश्किलें बढ़ी हैं और वो बारिश न होने की दुआ ईश्वर से कर रहे है।
वहीं मेंथा की खेती करने वाले किसानों को कर्ज का बोझ भी झेलना पड़ सकता है। मिल्कीपुर क्षेत्र के लिए मेंथा की फसल वरदान साबित हो रही, क्योंकि क्षेत्र के ग्राम सिधौना, बसापुर, बवां,बराईपारा,गोकुला, सथरी, बिशुनपुर ,तिन्दौली कुचेरा,हैरिग्टनगंज चिलबिली,धरमगंज सहित सैकड़ा गांवों में किसानों को नीलगायों तथा घुमंतू जानवरों के डर से फसलों को बचाने एवं रखवाली करने में काफी दिक्कतें आती थी,
पर मेंथा की फसल को जानवर नहीं खाते, जिससे मेंथा की फसल करना किसानोें के लिए काफी अच्छा माना जा रहा और बड़ी संख्या में किसान इस फसल को कर रहे हैं। हो रही झमाझम बारिश से किसानोें को थोड़ी मायूसी हो रही, क्योंकि जिनकी फसल कटने के बाद पेराई होकर तेल नहीं निकल पाया था, उनके लिए बारिश नुकसान देय साबित हो रहीI