फरीदाबाद से खुशी वत्स की रिपोर्ट
फरीदाबाद:माहे रमजान के रोजे इस्लाम का चौथा रुकुन है। जबकि इस बार मस्जिदों में 2 साल के बाद रमजान माह आजादी के साथ नमाज तराहवी और बाकी नमाज पढ़ने का मौका मिला है,जिसके लिए हम अल्लाह ताआला के शुक्रगुजार हैं। इस्लाम में कलमा,नमाज,हज,रमजानुल मुबारक,के रोजे और जकात फर्ज है।अल्लाह ताआला ने रमजान का महीना अपने लिए खास बताया है। इंसान के हर नेक काम का इनाम अल्लाह के फरिश्ते देते हैं,रोजे का इनाम अल्लाह ताला खुद देता है।
रमजान के महीने से अल्लाह ताला का खास ताल्लुक है,अल्लाह ताला ने इस बरकत, रहमत और नेमत वाला जो खास नेकयो का महिना है।अल्लाह ने रमजान के महिने मे अपनी खास किताब कुरान करीम भी उतारी है जो एक दूसरे के मददगार है। कुरान का सीखना सिखाना पढ़ना आला तरीन अमल है और बड़ा इनाम है। इंसान कुरान पाक की तालीम के मुताबिक जिंदगी सुकून और खुशहाली के साथ गुजारेकुरान की तालीम पर चलने वाला इंसान कोई ऐसी गलती नहीं कर सकता,जिससे किसी को कोई तकलीफ पहुंचे। कुरान पाक हर बुराई से रोकता है।धोखेबाज़ी,जुलुम,ना इंसाफी, चोरी,नशाखोरी,जुआ,सट्टा,नाहक खून,मजहबे इस्लाम ने सारी बुराई से सख्ती के साथ रोका है बल्लभगढ़ स्थित इमाम जामा मस्जिद ऊंचा गांव से मौलाना जमालुद्दीन जिला सदर जमीअत उलमा का कहना है,जो इंसान रोजे की हालत में इन बुराइयों को करता है वो रोजा के इनाम से खाली रहता है। रमजानुल मुबारक का महीना प्यार मोहब्बत मिलन सारी भाईचारे को मजबूत करता है ।
गरीब यतीम बेसहारा लोगों को सहारा देने की तालीम देता है। तो वहीं साफिया खातून ने बताया कि इस बार माह रमजान में रोजा रखने में वैसे तो गर्मी की सिद्दत है पर हमें अल्लाह पर पुरा हमें भरोसा है कि रोजेदारों को को कोई परेशानी नहीं होगी। कलमा,नमाज,हज,जकात,रोजा यह पांच रुकुन है।इनमें से एक भी जानकर बुझकर छोड़ना अल्लाह के दरबार में मुजरिम बना देता है। दुनिया में भी बहुत सी परेशानियों का सामना करता है,हर मालदार साहिबे निसाब मुसलमान पर जरूरी है के वो अपने माल से साल पूरा होने पर जकात अदा करके मदरसा इस्लामिया की और जरूरतमंदों की तलाश करके दिल खोलकर मदद करे।