चुनार मीरजापुर ब्यूरो
अहरौरा – मीरजापुर ।कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली और सिक्खों के प्रथम गुरू नानकदेव जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। नानक देव जी के जन्मोत्सव को प्रकाशोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।गुरू नानक देव के उत्तराधिकारी गुरु अंगद देव बने। इनकी बीबी सुलखनी थी। गृहस्थ जीवन में रहने के बाद दो पुत्रों के पिता आप बनें। एक ईश्वरवाद के सिद्धांत की साधना आपकी थी जिसके कारण हिन्दू मुस्लिम दोनों समुदायों पर आपका प्रभाव था। सूफी परंपरा की आपके जीवन में प्रभाव था। अहरौरा बाजार के आलू मील के पास दो प्राचीन गुरूद्वारे है जहाँ एक में गुरुतेग बहादुर से संबंधित अनेक सामग्रियां उपलब्ध हैं जबकि दूसरे में गुरू गोबिंद सिंह के द्वारा बाग लगाये गये थे और हस्त पांडुलिपि मिलते हैं। यहाँ पर हिन्दू और सिक्ख समाज की जुगलबंदी में प्रकाशोत्सव का आयोजन और शोभायात्रा निकली गई जो नगर भ्रमण के बाद प्रसाद वितरण के बाद संपन्न हुई।
सहुवाईन के पोखरा के किनारे स्थित घाटों को देवदीपावली के अवसर पर हजारों दीपों को एक साथ जलाया गया। देव दीपावली देवताओं द्वारा हर्ष को व्यक्त करने के लिए दीप प्रज्ज्वलन है। कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाने वाला देव दीपावली इसलिए मनाया जाता है क्योंकि असुर का शासन स्वर्ग पर तारकासुर के नेतृत्व में हो गया था। तब भगवान् शिव पुत्र कार्तिकेय ने इस असुर का वध करके पुन:स्वर्ग में देवताओं को स्थापित किया था। घर लौटने पर देवताओं ने दीप प्रज्ज्वलन किया था।
देव दीपावली की वाराणसी में बढ़ती महत्ता को देखते हुए आसपास जलस्रोतों के किनारे प्रकाशोत्सव करने का परम्परा जन्म हुआ है और वाराणसी के करीब अहरौरा भी अछूता नहीं है।
रिपोर्ट हरिकिशन अग्रहरि
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