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प्रगतिशील लेखक संघ की महत्वपूर्ण बैठक जनमोर्चा सभागार में संपन्न

 

संवाददाता मुदस्सिर हुसैन IBN NEWS मवई अयोध्या

26/07/2021 अयोध्या – प्रगतिशील लेखक संघ जनपद इकाई अयोध्या की  महत्वपूर्ण बैठक आज दिनांक 25 जुलाई 2021 रविवार अपरान्ह जनमोर्चा सभागार फैजाबाद में संपन्न हुई। सभा को कामरेड अयोध्या प्रसाद तिवारी एवं जिला सचिव आर डी आनंद ने संयुक्त रुप से संचालित किया।
सर्वप्रथम, रिक्त पड़े प्रलेस अध्यक्ष के पद पर चुनाव हुआ जिसमें सर्वसम्मति से वरिष्ठ कवि श्री स्वप्निल श्रीवास्तव जी को चुना गया।


तदुपरांत, वरिष्ठ चिंतक एवं कवि आर डी आनंद के कविता-संग्रह ‘नीला कोट लाल टाई’ का लोकार्पण हुआ।
इसके पश्चात, करोना काल में दिवंगत हुए प्रलेस के जिला अध्यक्ष श्री दयानंद सिंह मृदुल, अध्यक्ष मंडल के सदस्य डॉ. राममूर्ति चौधरी एवं वामपंथी साथी एस पी चौबे, अवधी कवि श्री आशाराम जागरथ के पिता, प्रलेस लखनऊ के साथी एस के पंजम, प्रलेस गोरखपुर के साथी सुरेश चंद्रा और आदर्श इंटर कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल श्री पूर्णमासी जी के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर साथियों से श्रद्धाजंलि अर्पित किया। ये सभी संगठन के एवं समाज के सक्रिय साथी सहयोगी थे।

दिवंगत डॉ. राममूर्ति चौधरी का जन्म 15 जुलाई 1946 में बस्ती जिले में हुआ था। बाद में वे वक्सरिया टोला, अयोध्या में आकर बस गए। उन्होंने एम ए, पीएच डी किया था। वे साहित्य मंगलम, शब्दांजलि, जन जागृति सेवा समिति एवं प्रगतिशील लेखक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने हरिवंश पुराण : एक सांस्कृतिक अध्ययन, भारत में कुर्मी वंश, प्राचीन भारतीय इतिहास (काव्य-संग्रह) लिखकर साहित्यिक योगदान किया। उनके पत्नी की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। उनके पीछे उनकी दो बेटियां हैं। एक बस्ती में रहती हैं दूसरी फैजाबाद में। दोनों अध्यापिका है। श्री एस पी चौबे 1981 में फैजाबाद आए और यहीं पर वे सेंट्रल बैंक में काम करते हुए ट्रेड यूनियन तथा वामपंथी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए लेखन-पाठन का काम किया। उनकी मृत्यु 15 मई 2021 को हार्ट अटैक से हो गई। उनके बाद उनके घर में उनकी पत्नी, बेटा और बेटी हैं।

सर्वप्रथम, साकेत डिग्री कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. जनार्दन उपाध्याय, जो डॉ. राममूर्ति चौधरी के साथी, सहयोगी, मित्र और पड़ोसी थे, ने उनके व्यक्तित्व, कृतित्व, लेखकीय और सामाजिक योगदान पर विस्तृत बात रखा।
तत्पश्चात, डॉ. राममूर्ति चौधरी साहब की बड़ी बेटी-श्रीमती संधिला चौधरी ने अपने पिता स्नेहमयी अभिभावकत्व के बारे में बताते हुए उनकी पीएचडी तथा उनके साहित्य की बारीकियों पर चर्चा करते हुए बताया कि किस तरीके से वे अपने साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न रहते हुए चाय और खाना तक भूल जाते थे। उन्होंने बताया कि साहित्य एक साधना है जिसको मैंने अपने पिताजी में देखा।

उनके पश्चात, उस क्रम को आगे बढ़ाते हुए श्रीमती मंधिला ने कहा कि यहां पर जितने भी साहित्यकार उपस्थित हैं, मैं सब की पीड़ा से अवगत हूँ। साहित्यकार समाज की पीड़ा को किस तरीके से आत्मसात करते हुए अपने समय और धन को व्यय करता है इसे हम दोनों बहनों ने आत्मसात किया है इसलिए मैं कह सकती हूँ कि साहित्य समाज का दर्पण है। आज जब पिताजी नहीं तो मुझे उनके होने और न होने का वास्तविक एहसास हो रहा है।

अध्यक्ष श्री स्वप्निल श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में अनेक अन्य साहित्यकारों के योगदान को बताते हुए बताया कि अचानक कैसे करोना ने उन महान साहित्यकारों को लील लिया। वक्ताओं की श्रेणी में अयोध्या प्रसाद तिवारी, आर डी आनंद, श्री के पी सिंह, एस एन बागी, आशाराम जागरथ, रामानंद सागर, अमिताभ श्रीवास्तव, अशोक तिवारी, सूर्यकांत पाण्डेय, अमिताभ श्रीवास्तव, विनय कुमार करुण, राम लौट, रविंद्र कबीर, अखिलेश चतुर्वेदी, शिवकुमार फैजाबादी, शंभूनाथ गुप्ता, देवेश, श्याम नारायण पांडेय, चंद्रमौलि तिवारी, पूनम कुमारी, संस्कृति कौल, संधिला चौधरी, मंधिला चौधरी इत्यादि ने अपने संस्मरण रखें।
अंत में, श्रद्धांजलि के उपलक्ष्य में दो मिनट का मौन रख मृतक साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।

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