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जनता में उठते सवालों के घेरे में घिरता जा रहा शासकीयतंत्र

रिपोर्ट ब्यूरो

गोरखपुर। जीडीए के भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबने के लिए शासकीय तंत्र द्वारा खुली छूट प्रदान किया गया है जिसे जान कर आम जनता हैरान व परेशान हो सकती है लेकिन तथ्य प्रमाणित है क्योंकि कार्यालय महालेखाकार (आर्थिक एवं राजस्व क्षेत्र लेखा परीक्षा लखनऊ) दिनांकित 26 अगस्त 2014 के लेखा परीक्षण रिपोर्ट परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार दिनांक 2 मार्च 2013 से 5 जुलाई 2014 तक कार्यरत उपाध्यक्ष एवं अन्य आरोपी लोक सेवकों द्वारा अपने पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग कर किए गए वित्तीय अनियमितता एवं आर्थिक अपराध के परिणाम स्वरूप विकास प्राधिकरण गोरखपुर के हुए आर्थिक क्षति 2 करोड़ 82 लाख 65 हजार 952 रुपए से किया जा सकता है। उक्त आर्थिक अपराध पर शासकीय प्रशासकीय तंत्र द्वारा जीडीए को पारितोषिक के रूप में 2014 से वर्तमान समय तक महालेखा परीक्षक के परीक्षण से ही मुक्त कर दिया गया।
उक्त बातें तीसरी आंख में मानवाधिकार संगठन के संस्थापक महासचिव शैलेंद्र कुमार मिश्र ने सत्याग्रह संकल्प के 58 वें दिन बुधवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि यह बात समझ से परे है कि कुछ प्रश्न हैं जो जनता को सोचने के लिए विवश कर रहे हैं कि आखिर इसका कारण क्या है? जैसे – मंडलायुक्त अपने गठित जांच समिति को दिए गए निर्देशों का अनुपालन कराने में अब तक असमर्थ क्यों हैं? आखिर क्या कारण है कि पिछले 56 दिनों से सामाजिक मुद्दे पर किए गए सत्याग्रह संकल्प पर शासन प्रशासन निर्णय लेने में असमर्थ है? आखिर क्या कारण है कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण को लेखा परीक्षण से 2014 से विरत रखा गया है? आखिर क्या वजह है कि शासकीय निर्देश के विपरीत अवधि से सचिव की कुर्सी पर अपना अधिपत्य जमाए आरोपी को एकाएक हटाने की जरुरत पड़ी? एक एक कर उपाध्यक्ष, एवं अध्यक्ष सभी को बदल दिया गया। सारी कार्यवाही इन्हीं दो माह के बीच ही क्यों? फिर यदि सचमुच संगठन के द्वारा लगाया गया आरोप सत्य है, विभिन्न चिन्हित अस्पताल, मॉल, नर्सिंग होम, होटल इत्यादि के भवन अवैध हैं तो इन्हें शीलबंद क्यों नहीं किया जा रहा? इनके ध्वस्तीकरण की कार्यवाही क्यों नहीं हो रही? यह सभी सवाल बढ़ते समय के साथ स्थानीय जनता के जेहन को परेशान करने लगे हैं। फिर शासकीय तंत्र द्वारा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का नारा लगाना नगर व प्रदेश के नागरिकों के साथ धोखा है। शायद यही कारण है कि सीएम सिटी में लोक सेवक नागरिकों को नित नए भ्रष्टाचार का शिकार बनाने में मशगूल हैं, और शासकीय तंत्र मूकदर्शक बना हुआ है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित संगठन के संरक्षक डा. पी.एन. भट्ट, संस्थापक महासचिव शैलेन्द्र कुमार मिश्र, अधिवक्ता गिरिजेश शुक्ला, डॉक्टर सत्य प्रकाश पाठक पूर्व उपाध्यक्ष गोरखपुर दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, प्रदेश सचिव उ.प्र. व राष्ट्रीय संयुक्त अधिवक्ता मंच के वरिष्ठ अधिवक्ता अनुप मिश्रा, अशोक तिवारी दिवानी बार गोरखपुर, योगेन्द्र कुमार मिश्रा एडवोकेट महामंत्री जिला कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन, हरे राम पांडे एडवोकेट उच्च न्यायालय प्रयागराज, वीरेंद्र कुमार उपाध्याय एडवोकेट, रामनिवास गुप्ता, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विपुल मिश्रा, प्रदेश आई.टी. सेल प्रभारी अमरजीत यादव, आईटी सेल सदस्य धर्मराज यादव, दुर्गेश यादव, वरिष्ठ वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश शुक्ला कमिश्नरी बार गोरखपुर, अनूप कुमार मिश्रा एडवोकेट स्नेहा मिश्रा एडवोकेट दीवानी कचहरी गोरखपुर विरेन्द्र कुमार वर्मा, विरेन्द्र राय, जिला मंत्री रामचन्दर दूबे, जिला संयोजक राजमंगल गौर, जिला मीडिया प्रभारी शशी कांत, गोकुल गुप्ता जनपद कुशीनगर सूर्य देव शर्मा, सतीश कुशवाहा, अजय, कमिश्नर बार के गोरखपुर शंभू सिंह श्रीनेत, दुर्ग विजय गौड़ एडवोकेट दिवानी बार गोरखपुर संजय गुप्ता, रुपेश शुक्ला, श्याम जी मद्धेशिया, महेंद्र मोहन तिवारी, सतीश मौर्या, विशाल, आदर्श, सत्येंद्र यादव, राजेश कुशवाहा, वंश गुप्ता, गोलू, वृंदावन शर्मा, सतीश चन्द्र कुशवाहा, राजकुमार यादव, राजा राम यादव और जय बहादुर इत्यादि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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