अयोध्या रिपोर्टर कामता शर्मा
लखनऊ-गोरखपुर नेशनल हाईवे पर किलोमीटर 93 स्थित बरईकला गांव मौत का ब्लैक स्पॉट बन गया है। हाईवे के किनारे से होकर जाना इस गांव के लोगों की नियति बन चुकी है। पिछले तीन वर्षों में हाईवे पर वाहनों की चपेट में आने से गांव के सात लोगों की मौत हो चुकी है। बीती छह अगस्त को गांव निवासी मंसाराम भी वाहन की चपेट में आकर असमय काल का ग्रास बन गये। किलोमीटर 93 के आस-पास हाईवे पर पैदल चलने के लिए कोई पटरी नहीं बनी है। जो है भी वह हाईवे का ही हिस्सा है और वर्षों से क्षतिग्रस्त है। अब वहां झाड़ियां उग आईं हैं।
बरईकला गांव के सामने हाईवे पर अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। हाईवे पर वाहनों की रफ्तार इतनी तेज रहती है कि इस गांव के लोगों को अपनी जान जोखिम में डाल कर निकलना पड़ता है। ऐसा इसलिए है कि गांववालों के पास आवागमन का कोई और विकल्प नहीं है। हाईवे का क्षतिग्रस्त हिस्सा और झाड़ियां दुर्घटनाओं का कारण बनी हुई हैं। बरईकला गांव के राजकरण यादव, रामाधार यादव, नकछेद यादव, बीरे कहार, अशोक कुमार रावत, मंसाराम और संदीप कुमार वर्मा निवासी कुर्मी का पुरवा मेहनौवरा की पिछले तीन वर्षों में हुई दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है।
यही नहीं हाईवे पर हुई दुर्घटनाओं में घायल राजेंद्र यादव उर्फ गुड्डू, अनिल कुमार श्रीवास्तव, दीपचंद, बाबूराम यादव बदलू, अनुज कुमार यादव, बलिकरन यादव, धर्मेंद्र श्रीवास्तव आज भी उपचार करा रहे हैं। पूर्व प्रधान नरेंद्र यादव ने बताया कि कई बार शिकायत की जा चुकी है, परंतु विभाग की उदासीनता के कारण हाईवे के किनारे वाले एक लंबे हिस्से की मरम्मत का कार्य नहीं किया गया। गांव के राजू रावत, सुनील रावत, मनजीत रावत, दीपांकर रावत, मनीष रावत, मुकेश रावत, धर्मराज रावत आदि लोगों ने सड़क पटरी की मरम्मत कराने की मांग की है। क्या बोले जिम्मेदार- किलोमीटर 93 स्थित बरई कला में दोनों तरफ लगभग तीन किलोमीटर तक पटरी क्षतिग्रस्त और अतिक्रमण है, जिसकी शिकायत मिल चुकी है। टीम लगा कर जल्द ही समस्या का निराकरण किया जाएगा।