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विद्यार्थियों में बहुसांस्कृतिक मूल्यों का विकास आवश्यक: प्रो संजीव कुमार दुबे

 

रिपोर्ट ब्यूरो

गोरखपुर। विद्यार्थियों में बहुसांस्कृतिक मूल्यों का विकास करना होगा, जिससे उसे विश्व नागरिक बनाया जा सके। नई शिक्षा नीति में यह प्रयास किया गया है कि शिक्षा व्यवसायोन्मुखी, बहुविषयकता को बढ़ावा देने वाली और स्थानीयता के अनुरूप स्वायत्त हो। प्रत्येक विद्यार्थी अपने आप में विशिष्ट होता है  विद्यार्थियों की इन विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम अध्यापन व परीक्षा प्रणाली को समायोजित  करना चाहिए जिससे विद्यार्थियों में नवोन्मेषी प्रवृत्ति वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आलोचनात्मक क्षमता व समावेशन के उदात्त गुण विकसित हो सकेगें। नयी शिक्षा नीति के तहत शिक्षा में लोचशीलता को गतिमान बनाये रखने के लिए सीबीसीएस व्यवस्था को लागू किया जो विद्यार्थियों को अनुसन्धानपरक अध्ययन व व्यवसायोन्मुख शिक्षा की प्रेरित कर सके ।
उक्त वक्तव्य सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात के स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एन्ड कल्चर स्टडीज के डीन प्रो संजीव कुमार दूबे ने ‘कॅरिकुलम डिजाइनिंग, आउटकम बेस्ड लर्निंग एन्ड चॉयस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम’ शीर्षक के तहत दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के यूजीसी एचआरडीसी केंद्र द्वारा आयोजित हो रहे फैकेल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के एक सत्र में दिया।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र : भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ’ विषय पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति एवं रक्षा अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हरिशरण ने व्याख्यान देते हुए कहा कि जो समुद्र पर राज करेगा उसी का विश्व पर प्रभुत्व होगा। उन्होंने चीन की हिन्द प्रशान्त क्षेत्र में बढ़ती महत्वाकांक्षी प्रवृत्तियों के फलस्वरूप भौगोलिक, सामरिक, व सामुद्रिक चुनौतियों के प्रति सचेत किया और बताया कि वर्तमान में उत्पन्न शक्ति के असन्तुलन के खिलाफ भारत को मुँहतोड़ जवाब देने के तत्पर होना चाहिए |

द्वितीय सत्र में सेमिनार सत्र का आयोजन हुआ जिसका अध्यक्षता वाणिज्य संकाय के अधिष्ठाता प्रो अवधेश कुमार तिवारी ने किया और प्रतिभागियों के मूल्यांकन करते हुए कहा कि शोधपत्रों के माध्यम से सवाल खड़े होने चाहिए और उसपर विमर्श होते रहना चाहिए।

कोर्स समन्वयक प्रो अजय कुमार शुक्ला ने कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन किया बताया कि तीसरे सप्ताह का व्याख्यान चल रहा है। आगामी 24 दिसंबर को समापन होना है, जिसके पूर्व सभी प्रतिभागियों का एमसीक्यू टेस्ट भी लिया जाएगा।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत कोर्स के सह समन्वयक डॉ मनीष पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया। अलग -अलग सत्रों का संचालन डॉ छाया सिंह, डॉ मदन मोहन शुक्ला, डॉ कीर्ति श्रीवास्तव एवं कौशल किशोर तिवारी ने किया। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों के शिक्षण संस्थानों से प्रतिभाग कर रहे शिक्षकों की उपस्थिति रही।

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