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जैविक खाद बन खेत को उपजाऊ बनाएगा गांव का कचरा।

गोरखपुर में 2878 राजस्व ग्रामों में कम्पोस्ट पिट बनाने की कार्ययोजना क्रियाशील।

रिपोर्ट ब्यूरो

गोरखपुर । गांव का कचरा अब जैविक खाद बन ग्रामीणों के खेत को उपजाऊ बनाएगा। इससे स्वच्छता अभियान को तो पंख लगेगा ही, बेकार कचरा भी अनमोल बन जाएगा। इसके लिए योगी सरकार की पहल पर हर राजस्व ग्राम में दो कम्पोस्ट पिट बनाए जा रहे हैं जो कचरे को जैविक खाद बनाने के काम आएंगे। गोरखपुर में 2878 राजस्व ग्रामों में कम्पोस्ट पिट बनाने की कार्ययोजना क्रियाशील हो गई है और 500 राजस्व ग्रामों में कम्पोस्ट पिट बनाने का काम प्रारम्भ हो गया है। 50 राजस्व ग्रामों में कम्पोस्ट पिट बना भी लिए गए हैं। यह सारी कवायद स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-2 के तहत की जा रही है। राजस्व ग्रामों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कम्पोस्ट पिट बनाने के संबंध में अपर मुख्य सचिव पंचायत राज की तरफ से विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं। हर राजस्व ग्राम में दो कम्पोस्ट पिट बनाने के पीछे मंशा यह है कि गांव के ठोस अपशिष्ट का नजदीक ही निस्तारण हो जाएगा और यह अपशिष्ट जैविक खाद के रूप में ग्रामीणों के खेत में काम आ जाएगा। कार्ययोजना के मुताबिक ग्रामीण अपने घरों का ठोस अपशिष्ट कम्पोस्ट पिट में डालेंगे। कम्पोस्ट पिट बनाने के लिए ग्राम पंचायत की भूमि इस्तेमाल की जाएगी। कम्पोस्ट पिट बनवाने व देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होगी। हर राजस्व ग्राम में ठोस अपशिष्ट से जैविक खाद बनाने के लिए दो खाद गड्ढे बनाए जाएंगे। एक कच्चा व एक पक्का। कच्चा खाद गड्ढे में सबसे पहले गीला जैविक कचरा डाला जाएगा। फिर गीले गोबर की एक परत और उसके ऊपर दुर्गंध और मक्खी, मच्छर से बचाव के लिए मिट्टी की एक पतली परत डाली जाएगी। यह क्रम गड्ढे के पूरी तरह भरने तक जारी रहेगी। यहां डंप कचरे का इस्तेमाल तीन माह बाद जैविक खाद के रूप में किया जा सकेगा। पक्के खाद गड्ढे में आयत के आकार में ईंटों से रौबदार गड्ढा बनाया जाएगा लेकिन इसकी निचली सतह पर ईंट नहीं बिछाई जाएगी। जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया कच्चे खाद गड्ढे जैसी ही होगी। कम्पोस्ट पिट बनाने में इस बात का ध्यान रखना है कि जहां इसे बनाया जा रहा है वहां जलजमाव न हो। साथ ही लोगों को दुर्गंध से बचाने के लिए इसे रिहायशी क्षेत्र दूर बनाया जाना है। राजस्व ग्रामों में कम्पोस्ट पिट बनाने से ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार भी मिलेगा। एक कच्चा खाद गड्ढा बनाने के सापेक्ष तीन मानव दिवस (अकुशल) सृजित होंगे जबकि पक्का खाद गड्ढा के लिए इतने ही मानव दिवस (अकुशल) व दो मानव दिवस (कुशल) सृजित होंगे। गांव में कचरे को कम्पोस्ट पिट में डालने से पहले उसकी छंटाई भी होगी। इसमें रिसाइकिल होने वाले प्लास्टिक कचरे को बेंचकर ग्राम पंचायतें आय भी अर्जित कर सकेंगी। यह कार्य ब्लॉक स्तर पर जिला पंचायती राज अधिकारी कार्यालय की देखरेख में होगा।

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