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दीवाली के अवसर पर संस्कार प्ले स्कूल गोरेयाकोठी के निदेशक ने विद्यालय के बच्चों,शिक्षकों और बच्चों के माता-पिता को जिन्दा लाफिंग बुद्धा किया गिफ्ट

दीवाली के अवसर पर संस्कार प्ले स्कूल गोरेयाकोठी के निदेशक ने विद्यालय के बच्चों,शिक्षकों और बच्चों के माता-पिता को जिन्दा लाफिंग बुद्धा किया गिफ्ट:पूरी खबर पढ़ें:-
जिले के गोरेयाकोठी संस्कार प्ले स्कूल/आर पी एस किंडर गार्टन में लाफिंग बुद्धा शॉ का आयोजन हुआ जिसमे इन्डियन लाफिंग बुद्धा के नाम से प्रसिद्ध नागेश्वर दास जी के द्वारा विद्यालय के बच्चों को जीवन भर हँसने का मन्त्र मिला।विद्यालय में इन्डियन लाफिंग बुद्धा नागेश्वर महाराज जी का भब्य स्वागत हुआ जिसमें विद्यालय के संस्थापक रामजन्म प्र.सिंह ने नागेश्वर दास जी को अंग वस्त्र और हरा भरा पौधा देकर सम्मानित किए।विद्यालय के सभी बच्चों और आगंतुक बच्चों के माता पिता एवं स्थानीय लोगों ने तालियों से भरपूर स्वागत किया।
इनके साथ साथ अतिथि के रूप में आए डॉ शंकर दयाल सिंह को अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया।तत्पश्चात विद्यालय के शिक्षकों को विद्यालय में विशेष योगदान एवं कार्यो के लिए इन्डियन लाफिंग बुद्धा नागेश्वर दास जी के द्वारा रमेश कुमार को अंग वस्त्र एवं कुमारी छोटी को हरा भरा पौधा देकर सम्मानित किया गया।और इसके बाद विद्यालय में हुए छमाही SA1परीक्षा में प्रत्येक वर्ग से चुने गए नं1 बच्चों को भी लाफिंग बुद्धा नागेश्वर दास जी के द्वारा पुरस्कृत किया गया।
इन्डियन लाफिंग बुद्धा नागेश्वर दास जी ने विद्यालय में सभी को सन्देश देते हुए कहे की जीना है तो हँस के जिओ जीवन में एक पल भी रोना ना,हँसना ही तो है जिंदगी रो रो के जीवन ये खोना ना।और साथ साथ विद्यालय के इस लाफिंग बुद्धा शॉ में आए सभी बच्चों,शिक्षकों,स्थानीय लोगो को अपने स्थान पर ही खड़ा होकर और दोनों हाथ फैलाकर खुलकर हँसने का तरीका बताए और सभी को अपने साथ खूब हँसी का ठहाके लगाए सबने झूम झूम कर हँसे और हँसने का मन्त्र लिया।
इसी क्रम में नागेश्वर दास जी ने यह भी कहा की जब इंसान जन्म लेता है तो बिलकुल यूँ ही चला आता है और इसी चिंतन में रहता है तब तक उसी के माता पिता उसको मार के रुलाते है और खुद हँसते है और अपेक्षा रखते है की बड़ा होकर हमसे प्यार करेगा और हंसाएगा ,एक रुलाने वाला व्यक्ति प्यार की अपेक्षा रखता है,कैसी खोखली सोंच है और कैसी ये परंपरा धिक्कार है ऐसी परंपरा को अब से भी जिस घर में बच्चा जन्म लेता है उसके माता पिता उसे रुलाने के बदले उसे गुदगुदा के हंसाएं तो बच्चा हँसेगा और प्रथम सन्देश उसके मन मष्तिष्क में पहुंचेगा की हम हँसने आए हैं और हँसाने ,फिर धीरे-धीरे ये शीलशिला बढ़ता रहेगा और एक घर से दूसरा घर दूसरे घर से तीसरा घर ऐसे करते करते पूरी दुनियां में फ़ैल जाएगा।तब जाकर गीता का उपदेश पूर्ण होगा प्रेम जगत का सार है फिर इस दुनियां में हँसी और ख़ुशी के साथ सभी लोग रहेंगे।इन सभी बातों को मन्त्र मुग्ध हो कर सुन रहे सभी लोगों ने एकाएक एक साथ हँसी का ठहाका हा हा हा हा हा हा हा हा लगा कर पुनः सम्मान दिए।इसके बाद सभी आए अतिथि ,बच्चों के माता-पिता और स्थानित लोगों ने कहा की यह एक ऐतिहासिक और बहुत ही सराहनीय आयोजन हुआ।ऐसा कभी नही हुआ।इस मौके पर निदेशक एवं संगीतज्ञ कृष्णप्रताप चंद्रवंशी,प्राचार्या शिल्पी सिंह,शिक्षिका कुमारीआरती,ज्योति,निशु और सदस्य राकेश चौधरी,राजन ओझा एवं सभी बच्चे मौजूद थे।

रिपोर्ट अमन सिंह ibn24x7news पटना

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