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जेसी बोस विश्वविद्यालय द्वारा जगदीश चन्द्र बोस की जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया

 

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट

फरीदाबाद:जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,वाईएमसीए, फरीदाबाद के कुलपति तथा प्रसिद्ध गणितज्ञ प्रो.सुशील कुमार तोमर ने आज ठोस पदार्थों की श्वसन क्रिया को लेकर एक जैसी संरचना रखने वाले माइक्रोस्ट्रेच इलास्टिक सॉलिड पर अपना रैखिक सिद्धांत प्रस्तुत किया तथा इसे महान भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस के दृष्टिकोण के साथ सहसंबद्ध किया।

उल्लेखनीय है कि जगदीश चंद्र बोस पहले वैज्ञानिक थे,जिन्होंने यह साबित किया कि पौधों में अन्य जीवन रूपों की तरह एक संवेदनशील तंत्रिका तंत्र होता है, और वे सांस ले सकते हैं और महसूस कर सकते हैं। प्रो.तोमर वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ.एस.के.गर्ग,निदेशक (अनुसंधान एवं विकास) प्रो. नरेश चौहान,डीन और विभिन्न शिक्षण विभागों के अध्यक्ष उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.सोनिया बंसल ने किया। इससे पहले प्रो. शतोमर ने विश्वविद्यालय में जे.सी.बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

विख्यात गणितज्ञ प्रो. तोमर,जिनके प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 125 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं,ने‘प्लैन वेव्स इन माइक्रो-स्ट्रेच इलास्टिक सॉलिड विथ वॉयड्स’ पर अपने विशेषज्ञ व्याख्यान में कठोर संरचना,तरंगें,लोचदार तरंगें,तनाव,हुक का नियम,आदि विभिन्न अवधारणाओं की परिभाषा देकर विषय से परिचित कराया।

उन्होंने कॉची,यूलर और लैग्रेंज जैसे प्रमुख गणितज्ञों के सिद्धांतों तथा अहमत केमल इरिंगन की माइक्रो-स्ट्रेच थ्योरी पर चर्चा की। प्रो.तोमर ने बताया कि उनका सिद्धांत जेसी.बोस के उद्धरण‘चर-अचर-चेतना’ से प्रेरित है। प्रो.तोमर ने अपने सिद्धांत में वॉयड्स (रिक्तियां) के साथ माइक्रोस्ट्रेच इलास्टिक सॉलिड से गुजरने वाली विभिन्न तरंगों के तरंग लक्षणों का पता लगाने के लिए गणितीय समीकरणों की व्युत्पत्ति की।

उन्होंने अपने गणितीय समीकरणों से सिद्ध किया कि ठोस माध्यम में प्रत्येक कण एक संपूर्ण शरीर की तरह व्यवहार करता है और उसमें संकुचन (श्वास) होता है।

प्रो.तोमर ने सभी प्रतिभागियों,विशेष रूप से छात्रों को अवधारणाओं पर विचार करके शोध के मूल विचारों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने इस तरह के संगोष्ठी के आयोजन के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ को भी बधाई दी। कार्यक्रम के अंत में प्रो.नरेश चौहान ने आभार व्यक्त किया।

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