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Election2022: बसपा का किला ढहा सपा का पांचों सीट पर कब्जा

 

अंबेडकरनगर ब्यूरो चीफ मुकेश मिश्र

भाजपा पांचों सीट में एक भी सीट न जितने पर भी प्रदेश में बन रही भाजपा की बहुमत की सरकार से खुशी का माहोल

एक तरफ बसपा में है मायूसी तो दूसरी तरफ सपा में है खुशी और गम का माहोल

अंबेडकरनगर – विधानसभा 2022 का चुनाव परिणाम उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख प्रतिद्वंदी राजनीतिक पार्टी भाजपा व सपा के लिए भले ही सुखद या दुखद रहा हो। लेकिन जिस तरह प्रदेश के साथ-साथ जनपद में बसपा का किला ढ़हा है। उसने बहुजन समाज पार्टी को कांग्रेस की मौजूदा स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए बसपा की मौजूदा स्थिति प्रदेश में कांग्रेस की तरह हाशिए पर पहुंचने वाली पार्टी के रूप मेें हो गई हैं।

 

इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को छोड़कर यदि हम बहुजन समाज पार्टी का गढ़ माने जाने वाले जनपद की बात करें तो यहां का परिणाम सबसे ज्यादा बहुजन समाज पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक रहा है। 2012 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 1991 से लेकर 2017 तक राम लहर एवं मोदी की सुनामी में भी यह किला बसपा के ही कब्जे में रहा है।

इस जिले की किसी सीट पर बहुजन समाज पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है तो वह तो वह दो दशकों से मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में जीतने वाली पार्टी के सामने डटी रही है।लेकिन 2022 के चुनाव में जनपद की अधिकांश सीटों पर बसपा का तीसरे स्थान पर पहुंचना और उसका जनपद से सफाया हो जाने को लेकर यही कयास लगाए जा रहे हैं कि बसपा का भी हस्र अब दिन-प्रतिदिन प्रदेश वा जनपद में कांग्रेस जैसा ही होने की तरफ अग्रसर हो चुका है।बसपा के कद्दावर नेताओं में शुमार राम अचल राजभर, लालजी वर्मा, राकेश पांडे, त्रिभुवन दत्त जैसे वरिष्ठ नेताओं को किनारे लगा दिया

 

जाना भी बसपा की ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।ये नेता बसपा के कैडराईज नेता माने जाते थे। जिनकी जनपद के साथ-साथ प्रदेश में भी अपनी एक पकड़ थी। वही बसपा के द्वारा किनारे लगाए गए इन नेताओं पर सपा ने भरोसा करते हुए उन्हें टिकट दिया और चारों ही नेताओ इन सीटों को सपा की झोली में डाल कर बसपा को जिले में इस दुर्गति तक पहुंचा दिया। जनपद में भाजपा एवं सपा कार्यकर्ताओं के लिए यह परिणाम सुखद ही रहा है।जनपद की पांचों सीटों पर विजय पताका फहराने के कारण सपा कार्यकर्ताओं में जहां खुशी का माहौल है।

वहीं उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत सरकार बनने के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में भी खुशी का ठिकाना नहीं है। जनपद की पांचों सीटे जिसमे दो सीटों पर 2017के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा था, उसको हारने के बावजूद भाजपाई एक बार फिर योगी की सरकार बनने की खुशी को लेकर फूले नहीं समा रहे हैं। तो अपना किला ढहने और जनपद में पिछले चुनाव में 3 सीट पाने वाली बसपा कार्यकर्ताओं के लिए प्रदेश के साथ-साथ जनपद में आया विधानसभा का चुनाव परिणाम निराशाजनक रहा है।

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