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सरथला में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संपन्न

 

काव्य मे ढली साज.. तो गीतों में ऊगा सवेरा

बीगोद– सरथला चारभुजा नाथ की पावन धरा पर 24 मई 2023 से 1 जून 2023 तक चले, विधिवत संपन्न श्रीलक्ष्मी विष्णु सरथला चारभुजा 108 कुंडीय विशाल महायज्ञ अनुष्ठान महोत्सव के अंतिम दिवस 1 जून 2023 को राष्ट्रीय संत महंत राधे बाबा निर्मोही राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिल भारतीय निर्मोही अखाड़ा की अध्यक्षता और सानिध्य में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन संपन्न हुआ।जिसमें देश के जाने-माने प्रसिद्ध कवियों ने काव्य पाठ किया।
करवर से पधारे वरिष्ठ गीतकार अंदाज हाड़ोती ने ‘ऐसा वरदान दे मां….राष्ट्र तिरंगा सबसे ऊपर हो…… भावों से ओतप्रोत सरस्वती वंदना करके कवि सम्मेलन का आगाज किया।

भीलवाड़ा के पैरोडीकार संजीव सजल ने अपनी पैरोडियों के माध्यम से श्रोताओं गुदगुदाते हुए “तुमको ही घूरती यहां आंखें जहान की। रावण हजारों एक अकेली है जानकी। मुश्किल है यहां अब ना कोई राम आएंगे, मत खोलना तू एक भी खिड़की मकान की….. ‌” सार्थक रचना पढ़कर नारी शक्ति को सजग और जागरूक रहने का आग्रह किया। कवि अमित शर्मा खैरुणा ने राम बनो और श्याम बनो तुम दानव दुष्ट मिटाने को, वीर बनो शमशीर बनो तुम भारत भाग जगाने को… पढ़कर श्रोताओं को जोश और उत्साह से भर दिया।
अंता से पधारे वाह भाई वाह टीवी फेम देवेंद्र वैष्णव ने अपनी हास्य और व्यंग्य की रचनाओं से खूब वाहवाही लूटी।
शक्करगढ़ से पधारे वरिष्ठ गीतकार राजकुमार बादल ने अपने अनोखे अंदाज में श्रोताओं को हंसाते हुए सात फेरा, सात वचन, काची कांची डोर। एक फेरो और लाडी एक फेरो और। गीत पढ़कर समाज में गिरते हुए सामाजिक मूल्यों पर चिंता जताते हुए सकारात्मक संदेश दिया।

कवि सम्मेलन के सूत्रधार चेतना और जागरण के प्रखर राष्ट्रवादी स्वर परमानंद दाधीच ने युवा पीढ़ी, राजनीति के बदलते आदर्श मूल्यों, समाज में व्याप्त कुरीतियों और सरहद पर खड़े सिपाही को समर्पित रचनाएं.. ‘हरा भरा कर देते जो बंजर के कोने-कोने को, वे सपूत ही जाते हैं सरहद पर मस्तक बौने को……..” “जितने आतंकी अड्डे हैं सब पर ताले जड़वा दो। ताले से भी ना माने तो तुम बुलडोजर चढ़वा दो।”
“देश जलने पर भी जिनका खून नहीं खोलता हो, देश के जवानों की जवानी किस काम की…” पढ़ीं तो सारा वातावरण भारत माता की जय, वंदे मातरम् और जय जय श्री राम के जयकारों से गुंजायमान हो गया।

लाफ्टर चैंपियन सीजन 4 के विजेता सुरेश अलबेला ने अपने चिर परिचित अंदाज में श्रोताओं को लोटपोट करते हुए खूब तालियां बटोरी साथ ही
“जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो एक टिफिन में खाते थे।
हम सूखी रोटी लाते थे, पर घी का भोग लगाते थे। अब रस्ते में मिलती है तो, आहें भरकर रह जाते हैं। उसके दो-दो बच्चे हमको मामाजी कह जाते हैं। वह हो गई पूनम ढिल्लों सी, हम रह गए अटल बिहारी से। मिलती थी रोज मुरारी से पर सेटिंग थी गिरधारी से…..” पड़ा तो चारों ओर से अलबेला जिंदाबाद अलबेला जिंदाबाद का शोर सुनाई देने लगा..
करवर हास्य गीतकार अंदाज हाड़ोती ने अपनी हास्य फुलझड़ियों से श्रोताओं के चेहरे पर हंसी की रोशनी बिखेरी, साथ ही ” म्हारा बाईसा रा बीरा, म्हारा जोबन रहा रखवाला सखी सपना मं आया री, हरिया कांच की चूड़ियां थेला में लाया री।” संस्कारित श्रंगार गीत पढ़कर कवि सम्मेलन को परवान चढ़ाया।
ऊर्जावान यशस्वी मंच संचालक अजय हिंदुस्तानी ने
“ना शुल्क की खातिर चलेगी मेरी लेखनी।
ना जुल्म की खातिर चलेगी मेरी लेखनी।
जब तलक चलेगी सांस मेरी,तब तलक इस मुल्क की खातिर चलेगी मेरी लेखनी।।
जैसी रचनाएं पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
आचार्य महावीर पंडित और अन्य कार्यकर्ताओं ने सभी कवियों का माल्यार्पण कर स्वागत सम्मान किया।
कवि सम्मेलन के अंत में अध्यक्षता कर रहे पूज्य महंत राधे बाबा निर्मोही जी ने कविता क्या होती है? साहित्यकार का कर्म और धर्म क्या होता है? साहित्य की जीवन में सार्थकता है, कवि सम्मेलन से समाज को कैसे दिशाबोध होता है आदि कई विषयों पर विद्वत्तापूर्वक प्रकाश डालते हुए अपने मुखारविंद से सभी कवियों, आयोजक मंडल, श्रोताओं प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से महायज्ञ में अपनी भागीदारी निभाने वाले धर्मपथगामी सदाचारियों को उज्ज्वल भविष्य,और उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद दिया।

( फोटो कैप्शन–
1-सरथला में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कविता पाठ करते हुए

2-कवि एवं मंचासीन पंडाल में दर्शकों का भीड़)
फोटो–प्रमोद कुमार गर्ग

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