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सरथला मे संत महात्माओं की विदाई के साथ श्री लक्ष्मी विष्णु सरथला चारभुजा महायज्ञ महोत्सव का हुआ समापन, विदाई के दौरान संतों का पुष्प वर्षा से किया स्वागत

 

समृद्ध संस्कृति और विरासत की भूमि है भारत- महंत राधे बाबा निर्मोही

बीगोद– पूरे विश्व में भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के लिये प्रसिद्ध देश है। ये विभिन्न संस्कृति और परंपरा की भूमि है। भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता का देश है। भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण तत्व अच्छे शिष्टाचार, तहज़ीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ और मूल्य आदि हैं।

विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोगों के बीच की घनिष्ठता ने एक अनोखा देश, ‘भारत’ बनाया है। यह बात श्री लक्ष्मी विष्णु सरथला चारभुजा विशाल 108 कुंडीय महायज्ञ महोत्सव के समापन पर संत महात्मा विदाई के दौरान धर्म सभा में संबोधित करते हुए अखिल भारतीय निर्मोही (आणि) अखाड़ा अयोध्या राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत राधे बाबा निर्मोही ने भक्तों को कहीं ।

उन्होंने कहा कि
हमारी धार्मिक संस्कृति है कि हम व्रत रखे, पूजा करें, गंगा जल अर्पण करें, सूर्य नमस्कार करें, परिवार के बड़ों सदस्यों का पैर छुएँ, रोज ध्यान और योग करें तथा भूखे और अक्षम लोगों को अन्न-जल दें।

हमारे राष्ट्र की ये महान संस्कृति है कि हम बहुत खुशी के साथ अपने घर आये मेहमानों की सेवा करते है क्योंकि मेहमान भगवान का रुप होता है इसी वजह से भारत में “अतिथि देवो भव:” का कथन बेहद प्रसिद्ध है। हमारी संस्कृति की मूल जड़ इंसानियत और आध्यात्मिक कार्य है। सभी आगंतुकों का स्वागत चारभुजा महायज्ञ समिति कार्यकर्ता एवं अध्यक्ष रमेश चंद्र पाराशर ने किया ।

राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भी पहुंचे संत महात्मा दी उन्हें दक्षिणा के साथ विदाई
सर्व दृष्टा गोलू भैया निर्मोही, आचार्य पंडित महावीर दाधीच ने बताया कि राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित ऋषिकेश, हरिद्वार, गुजरात, वृंदावन ,मथुरा, इंदौर, सलेमाबाद, अहमदाबाद, पुष्कर, डाकोर, राम जन्म भूमि अयोध्या सहित देशभर के संत महात्माओं ने महोत्सव के समापन में पहुंचकर उन्हें कुमकुम श्रीफल लगाकर महंत श्री राधे बाबा निर्मोही ने पुष्प वर्षा के साथ विदाई दी ।

वृंदावन के कलाकारों ने किया श्रद्धालुओं को भावविभोर
महोत्सव के अंतिम दिन वृंदावन के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा महारास लीला का आयोजन किया गया जिसमें भगवान श्री कृष्ण एवं उनके बाल्यावस्था से लेकर युवावस्था तक श्री कृष्ण राधा आदि का किरदार वह गोपियों के नृत्य ने सबका मन मोह लिया। भगवान के भजनों पर श्रद्धालु भावविभोर होकर नृत्य करने को मजबूर हो गए ।

( फोटो कैप्शन-
सरथला महोत्सव के समापन के अवसर पर संत महात्माओं को विदाई करते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता राधे बाबा निर्मोही
एवं उपस्थित देशभर के संत महात्मा मंचासीन ।

2- सरथला में वृंदावन के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा महाराष्ट्र के दौरान भगवान कृष्ण की आरती करते हुए मंच पर राधे बाबा निर्मोही एवं विद्वान पंडित)
फोटो–प्रमोद कुमार गर्ग

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