विजय कुमार शर्मा प,च,बिहार
आज भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद की 134वीं जयंती है. राजेंद्र बाबू का जन्म बिहार के सिवान जिले के एक छोटे से गांव जीरादेई में 3 दिसंबर 1884 को हुआ था. उन्होंने अपनी पहली शिक्षा छपरा से ली थी. 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की.राजेंद्र बाबू की शिक्षा राजेंद्र बाबू ने कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लेकर लॉ के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की. उन्हें हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली और फारसी भाषा का पूरा ज्ञान था. 13 वर्ष की उम्र में राजवंशी देवी से उनका विवाह हुआ.प्रथम राष्ट्रपति बने राजेंद्र प्रसाद राजेंद्र बाबू ने अपना करियर वकील के रूप में शुरू किया. राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था और कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. उसके बाद वह कांग्रेस के अध्यक्ष बने. राष्ट्रपति के रूप में राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक का रहा.
निष्पक्ष थे राजेंद्र बाबू राजेंद्र प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था. पूरे देश में लोकप्रिय होने के नाते उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहा जाता था. राजेंद्र प्रसाद जब राष्ट्रपति के पद पर थे तो उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या कांग्रेस को दखलअंदाजी का मौका नहीं दिया.
देश के प्रति था लगाव हिंदू अधिनियम पारित करते समय उन्होंने काफी कड़ा रुख अपनाया था. राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने कई ऐसे काम किए जो बाद में मिसाल के तौर पर माने जाते रहे हैं. उनका एक किस्सा बहुत ही मशहूर है कि भारतीय संविधान के लागू होने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को उनकी बहन भगवती देवी का निधन हो गया, लेकिन वे बहन के दाह संस्कार में शामिल होने के बजाए भारतीय गणराज्य के स्थापना समारोह में शामिल हुए.
राजेंद्र बाबू का निधन राजेंद्र प्रसाद 12 साल तक राष्ट्रपति के पद पर रहे, और 1962 में अपने छुट्टी की घोषणा की. छुट्टी के बाद ही उनकी पत्नी राजवंशी देवी का निधन हो गया. राजेंद्र प्रसाद ने अपने जीवन के आखिरी समय में पटना के पास सदाकत आश्रम को चुना. और अंत में 28 फरवरी 1963 को उनका देहांत हो गया.
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