1 साल में अट्ठारह सौ से हटकर 400 करोड़ रुपए पर पहुंची आए
किसानों के लिए पहले से चली आ रही योजनाएं मुश्किल में
रिपोर्ट ब्यूरो
गोरखपुर। सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानून 2020 का असर अब दिखने लगा है नतीजा इसके आने से पहले मंडी परिषद से अट्ठारह करोड़ रुपए होने वाली वार्षिक आय अब घटकर 300 करोड़ पर सिमट गई है जिस पर इस पद के निदेशक अंजनी कुमार स्वीकार करते हैं उनका कहना है सरकार की नीतियों का असर इस पद पर पड़ रहा है। यदि इसी तरह से आय घटती रही तो वेतन भत्ते निकलने मैं भी होगी परेशानी उक्त बातें मंडी समिति चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नरसिंह यादव ने कही उन्होंने आगे भी कहा उत्तर प्रदेश मंडी परिषद में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों का दावा है कि अभी तक मंडी अपनी आय से किसानों के लिए लाभकारी योजनाओं का संचालन कर रही थी मगर आए घटने से किसानों के लिए लाभकारी योजनाओं का संचालन मुश्किल हो गया है इसके पीछे वजह चाहे जो भी हो मगर 5 जून 2020 को जारी किए गए कृषि कानून के अध्यादेश में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि मंडी शुल्क को वसूली केवल निर्मित मंडी स्थल पर की जाएंगी मंडी परिषद के बाहर होने वाले व्यापार पर कोई मंडी शुल्क नहीं लिया जाएगा जिसका प्रभाव यह हुआ कि मंडी स्थल के बाहर के व्यापारी बिना शुल्क दिए कृषि उत्पादों का कारोबार करते हैं और मंडी परिसर के अंदर काम करने वाले व्यापारियों को मंडी शुल्क देना पड़ता है लिहाजा इस अध्यादेश से उत्पन्न हुई विसंगति पूर्ण स्थिति की वजह से मंडी स्थल के व्यापारी भी अधिक से अधिक व्यापार निर्मित परिसर के बाहर ही करने लगे जिससे मंडी शुल्क की वसूली में भारी गिरावट देखी गई इस अध्यादेश से पहले जून 2014 से मार्च 2020 तक उत्तर प्रदेश मंडी परिषद की एक ग्यारह ₹840000000 की आय हुई थी वही अध्यादेश के प्रभावी होने के बाद जून 2020 से मार्च 2021 में पिछला बकाया वसूलने के बाद भी मात्र 457 करोड रुपए की प्राप्ति हो सकी थी इसी तरह मंडी परिषद की कमाई प्रतिवर्ष कर करीब 15 साल से अट्ठारह सौ करोड़ रुपए की थी जो अब घटकर 300 से 400 करोड़ रुपए रह गई है।