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इन नियमों को ध्यान में रखकर श्राद्ध करेंगे तो पितर होंगे संतुष्ट:पं.सुरेंद्र शर्मा बबली

 

 

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट

 

फरीदाबाद: अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंड़ित सुरेंद्र शर्मा बबली ने पितृ पक्ष को लेकर कहा कि पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होता है। पितृ पक्ष के 15 दिन पूरी तरह से पितरों को समर्पित होते हैं। इन दिनों पितरों की शांति के लिए तर्पण, पूजा अनुष्ठान आदि किए जाते हैं,मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है। इसी वजह से इन दिनों सभी लोग सच्चे मन से श्राद्ध कर्म करते हैं और तिथियों के अनुसार वे अपने पूर्वजों को तर्पण देते हैं और उनके निमित्त दान-पुण्य करते हैं।

➡️शास्त्रों के अनुसार, दक्षिण दिशा में चंद्रमा के ऊपर की कक्षा में पितृलोक की स्थिति है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी गई है। पितृपक्ष में पितरों का आगमन दक्षिण दिशा से होता है। इसलिए दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त पूजा,तर्पण आदि किए जाने का विधान है।

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जिस दिन आपके घर श्राद्ध तिथि हो उस दिन सूर्योदय से लेकर 12 बजकर 24 मिनट की अवधि के मध्य ही अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध-तर्पण आदि करें।श्राद्ध करने में दूध, गंगाजल, मधु, वस्त्र, कुश,तिल अनिवार्य तो है ही, तुलसीदल से भी पिंडदान करने से पितर पूर्णरूप से तृप्त होकर कर्ता को आशीर्वाद देते हैं।

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