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हीमोफीलिया एक प्रकार का गंभीर ब्लीडिंग डिसऑर्डर है:मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स

 

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट
फरीदाबाद:हीमोफीलिया नामक गंभीर बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना लेने के लिए हर साल 17 अप्रैल को’विश्व हीमोफीलिया दिवस’ मनाया जाता है। इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए डॉ.मीत कुमार,डायरेक्टर एवं एचओडी-हेमेटो ऑन्कोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट,मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने बताया कि हीमोफीलिया एक प्रकार का गंभीर ब्लीडिंग डिसऑर्डर है। इस रोग के कारण मरीज के शरीर में खून के थक्के जमने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है और शरीर के किसी अंग में चोट या कोई कट लग जाने पर शरीर से बह रहा खून जल्दी नहीं रुक पाता है। यह अनुवांशिक रोग है। इसके अलावा यह रोग कैंसर,मल्टीपल स्क्लेरोसिस,ऑटोइम्यून रोग,प्रेगनेंसी और दवाओं के रिएक्शन के कारण भी हो सकता है यह बीमारी खून में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी के कारण होती है। थ्राम्बोप्लास्टिन एक ऐसा पदार्थ है,जो खून को तुरंत थक्के में बदल देता है। इस रोग के मामले महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक देखे जाते हैं। संभवत आंकड़ों के अनुसार,भारत में जन्मे प्रत्येक पांच हजार पुरुषों में से एक पुरुष में हीमोफीलिया रोग पाया जाता है। इस बीमारी के तीन प्रकार हैं हीमोफीलिया ए,हीमोफीलिया बी और हीमोफीलिया सी। हीमोफीलिया ए सबसे आम बीमारी है जिसमें शरीर में फैक्टर 8 जीन की कमी होती है। इस कारण खून का थक्का जमता नहीं है।

➡️इन लक्षणों की अनदेखी न करें।
नाक से बार-बार खून बहना
मसूड़ों से खून निकलना।
मल,पेशाब या उल्टी में खून दिखाई देना।
चोट या कट लग जाने पर खून जल्दी बंद न होना।
दिमाग में ब्लीडिंग होने के कारण सिरदर्द, उल्टी या दौरे पड़ना
हीमोफीलिया के इलाज के लिए मरीज को ब्लड चढ़ाया जाता है। शरीर में खून का थक्का जमाने वाले जिस फैक्टर की कमी होती है,उस क्लॉटिंग फैक्टर को इंजेक्शन के जरिए मरीज की नसों में छोड़ा जाता है। इसके अलावा मरीज को प्लाज्मा भी चढ़ाया जाता है। इस उपचार की मदद से खून का थक्का बनने की प्रक्रिया को सामान्य करने में मदद मिलती है।
➡️मरीजों के लिए जरूरी सलाह।
बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा खासकर नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं का सेवन न करें।
➡️रोजाना व्यायाम करें।
चोट या कट लगने से बचें।
हेपेटाइटिस ए और बी का वैक्सीन जरूर लगवाएं।
हीमोफीलिया होने पर ब्लीडिंग होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें और इलाज कराएं।
समय-समय पर जांच अवश्य कराते रहें।
दांतों का साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

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