ब्यूरो रिपोर्ट सत्यम सिंह IBN NEWS अयोध्या
दिल्ली मशहूर अमेरिकी बिजनेस पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने शहर की युवा वैज्ञानिक श्रीति पांडेय को एशिया के सर्वश्रेष्ठ युवा वैज्ञानिकों में शामिल किया है। पत्रिका के प्रबंधन ने यह जानकारी श्रीति को ई-मेल के जरिए दी है। श्रीति ने इस उपलब्धि से शहर का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है।
फोर्ब्स की इस सूची में 30 या उससे कम उम्र के उन युवा वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है जिन्होंने उद्योग, विनिर्माण या ऊर्जा के क्षेत्र में कोई ऐसा शोध किया है जो समाज और उद्योग जगत के लिए उपयोगी साबित हो रहा हो। श्रीति को यह उपलब्धि उनके उस शोध के लिए मिली है जिसमें उन्होंने गेहूं के डंठल व भूसे के बने पैनल से कम लागत में टिकाऊ मकान तैयार कर दुनिया को चकित किया है।
श्रीति ने सबसे पहला प्रयोग एमजी इंटर कॉलेज में किया। इसके बाद मध्य प्रदेश में कई भवन बनाए और पिछले साल बिहार में एक अस्पताल में बहुत ही कम समय में कोविड अस्पताल भी तैयार किया था। इसके लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ की सराहना भी हासिल हो चुकी है। संघ ने इस प्रयोग के लिए उन्हें 2019 में सम्मानित भी किया था।
एशिया-30 में नाम शामिल होने से उत्साहित श्रीति ने बताया कि उनके इस प्रोजेक्ट को प्रदेश सरकार ने स्टार्टअप में शामिल कर लिया है। प्रयोग को व्यवसाय के धरातल पर उतारकर लोगों तक पहुंचाने के लिए कंपनी स्थापित कर ली गई है। गोरखपुर के आसपास इसका उद्योग लगाया जाएगा जिससे पूर्वांचल के लोगों को इसका सर्वाधिक लाभ मिल सके।
एग्री फाइबर पैनल का इस्तेमाल
श्रीति के पिता महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रबंधक मंकेश्वर पांडेय ने बेटी की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए बताया कि प्रयोग आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। सरकारी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद यह कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
श्रीति ने गेहूं के डंठल, धान के पुआल और भूसे से कंप्रेस्ड एग्री फाइबर पैनल बनाया है। इस पैनल से मकान तैयार करने पर लागत काफी कम आती है। साथ ही यह काफी टिकाऊ होते हैं। इसके इस्तेमाल से पर्यावरण भी अनुकूल रहता है और भवन भी काफी ठंडा रहता है। डंठल और पुआल का निस्तारण न हो पाने की स्थिति में किसान उसे जला देते हैं। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति तो प्रभावित होती ही है, पर्यावरण भी दूषित होता है।