फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट
फरीदाबाद:ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल की तरफ से सेक्टर-28 सीनियर सिटीजन फोरम ऑफिस में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अस्पताल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ.रोहित गुप्ता तथा नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ.जितेंद्र कुमार मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। डॉ. रोहित गुप्ता ने बुजुर्गों को जागरूक करते हुए बताया कि स्ट्रोक एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है,जिसे ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाता है। देखा जाए,तो आज के समय में स्ट्रोक बहुत आम समस्या हो गई है। बुजुर्गों के साथ युवाओं को तेजी से अपनी चपेट में ले रही है,लेकिन बुजुर्गों को इसका खतरा ज्यादा रहता है। हर साल स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आश्चचर्य की बात नहीं है कि आने वाले समय में यह बीमारी खतरनाक रूप ले लेगी। डॉ.गुप्ता ने कहा कि स्ट्रोक तब होता है, जब मास्तिष्क में ब्लड वेसेल्स फट जाती हैं और खून बहने लगता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक भारत में मौत का दूसरा बड़ा कारण है। आमतौर पर स्ट्रोक दो तरह के होता है। पहला ब्लड क्लॉट और दूसरे हैमरेज। ब्लड क्लॉट में ब्रेन में क्लॉटिंग हो जाती है और दूसरे में ब्रेन में हेमरेज हो जाता है। सामान्य तौर पर हम जो देखते हैं उनमें वेसेल्स ब्लॉक हो जाती हैं,जिसे इस्केमिक स्ट्रोक कहते हैं। इस कारण हमारे न्यूरॉन्स नष्ट हो जाते हैं। जैसे-जैसे मरीज स्ट्रोक के लक्षणों के साथ गुजर रहा होता है,हर 1 मिनट में उसके 19 लाख न्यूरॉन्स नष्ट होते हैं। इसलिए स्ट्रोक के लक्षणों का अनुभव हो,तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ.जितेंद्र कुमार ने बताया कि बदलती जीवनशैली के कारण किडनी के मरीज बढ़ रहे हैं। आमतौर पर देखा गया है कि जैसे ही मरीज को किड़नी से संबंधित बीमारी का पता चलता है। मरीज मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है। ऐसे में वह अपने खान-पान की ओर भी ध्यान नहीं दे पाता। साथ ही उसके परिजन भी इस समस्या के शिकार हो जाते हैं। मरीज की देखभाल ठीक प्रकार से नहीं हो पाती। जबकि ऐसी स्थिति में मरीज को खान-पान,दवाओं और डायलिसिस की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा किडनी रोग के दौरान समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए और समय पर दवाओं का सेवन करना चाहिए।