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सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला,साढ़े नाल रहोगे तो ऐश करोगे… पर नाचते नजर आए देशी-विदेशी दर्शक

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट

फरीदाबाद:37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में मंगलवार को बड़ी चौपाल पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या का पर्यटकों ने जमकर लुफ्त उठाया। दलेर मेहंदी की नाईट कार्यक्रम में भांगड़ा तथा इंडी-पॉप का मिश्रण देखने को मिला। सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत दलेर मेहंदी ने अपने हिट गीत साढ़े नाल रहोगे तो ऐश करोगे… से किया। दलेर मेहंदी ने अपने पंजाबी पॉप गीतों के माध्यम से दर्शकों को नांचने पर मजबूर कर दिया। गीता की मनहारी प्रस्तुति देखकर दर्शक अपनी जगह पर खडे होकर नांचने लगे। इसके बाद दलेर मेहंदी ने पंजाबी गायन व भांगडा के माध्यम से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया।

इस मौके पर विदेशी पर्यटक भी तुनुक तुनुक धुन-तुनुक तुनुक धुन,नागिन डांस करना,मैं निकला गड्डी लेके,हो गई तेरी बल्ले बल्ले,हायो रब्बा हायो रब्बा हायो रब्बा,नइयो नइयो मैनु दिल तेर नइयों चाहिदा,तारा गिन गिन याद सतावां मैं तो जागा रातां में,कोन बनाए बांसुरिया,दिल लेना दिल देना है सौदा खरा-खरा,नमो-नमो नमो-नमो… सुनकर नाचते नजर आए। इस दौरान दर्शको ने भी गायक के सामने अपनी विभिन्न फरमाइशें रखी,जिस पर दलेर मेहंदी ने उन्हें निराश नहीं किया। दलेर मेहंदी का जन्म बिहार राज्य के पटना में 18 अगस्त 1967 को हुआ। उनकी फैमिली में पिछले सात पीढिय़ों से सिंगिंग का ट्रेंड चला आ रहा है। दलेर को उनके माता-पिता ने बचपन में ही राग और सबद की शिक्षा दे दी थी। उन्हें बचपन से ही सिंगिंग का शौक रहा है। घंटों चली इस सांस्कृतिक संध्या में दर्शकों के बैठने के लिए निश्चित स्थान भी कम पड़ गया। बड़ी चौपाल के दोनों तरफ रेलिंग के साथ लोगों का भारी जमावड़ा था। जब भी उनकी खास पसंद का कोई गीत गाया जाता तो एक साथ सभी दर्शक झूमने लगते। इस मौके पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश वाई.एस.राठोर,डीसी विक्रम सिंह तथा प्रबंध निदेशक डा.नीरज कुमार के अलावा अन्य अधिकारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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