अयोध्या ब्यूरो कामता शर्मा
अयोध्या।
रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला का मस्तिकाभिषेक करेंगी। इसके लिए राम मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थाई रूप से ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम को स्थापित किया गया है। जहां से सूर्य की किरणें दर्पण से परिवर्तित होकर वर्टिकल पाइप के जरिए गर्भगृह में रामलला के मस्तक पर पांच मिनट तक 75 मिमी आकार का गोलाकार तिलक बनाएगी।
राम मंदिर के गर्भगृह में सूर्य की किरणों को पहुंचाने के लिए बीते 15 दिन से कार्य किया जा रहा था, जिसमें सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के वैज्ञानिकों ने सूर्य किरणों को रिफ्लेक्टर, दो दर्पण, तीन लेंस और वर्टिकल पाइप के माध्यम से मार्ग परिवर्तित करने का सफल परीक्षण किया है, जिसके लिए सबसे पहले तीसरी मंजिल पर एक रिफ्लेक्टर बॉक्स को लगाया गया है, जिसमें एक मुख्य लेंस है जो बिना बिजली के 19 गियर के जरिए काम करेगा। वहीं प्रथम और द्वितीय तल से वर्टिकल पाइप को गर्भगृह में उतारा गया है, जिसके अंदर तीन स्थान पर लेंस लगाया गया है।
जहां से सूर्य की किरणें गर्भगृह में लगे दर्पण पर पड़ने के बाद 60 डिग्री में परिवर्तित होकर सीधे रामलला के मस्तक पर सुशोभित होंगी।
सीबीआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ प्रदीप चौहान के मुताबिक राम मंदिर में सूर्य तिलक रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे समय पर हो। इसके लिए सिस्टम में 19 गियर लगाए गए हैं। सिस्टम पर किरणों के पड़ते ही सेकेंड्स में दर्पण और लेंस चाल बदलेंगे। इसके बाद सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में पहुंचेंगी।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के मुताबिक वैज्ञानिकों ने उपकरण को गर्भगृह के ठीक ऊपर तीसरी मंजिल पर लगाया है, जिसका ट्रायल दो चरणों में किया गया है। रामनवमी पर रामलला का सूर्य की किरणों से तिलक होना तय हो गया है।