17 मार्च को सुबह 11:00 बजे फिर से शुरू होगा धरना प्रदर्शन
अयोध्या ब्यूरो कामता शर्मा
बीकापुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आबाद अहमद की अध्यक्षता में बीकापुर के सैकड़ो अधिवक्ताओं ने उपजिलाधिकारी बीकापुर न्यायालय के सामने हजारों मुकदमों की पत्रावलियां खारिज किये जाने और तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए धरना प्रदर्शन किया।धरने का संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता ओमप्रकाश तिवारी तथा आसाराम निषाद ने संयुक्त रूप में किया।
धरना सभा को संबोधित करते हुए अध्यक्ष आबाद अहमद ने कहा जब से देवरिया कांड की घटना घटी है तब से राजस्व विभाग के प्रशासनिक अधिकारी बिना वादकारियों के अधिवक्ताओं को सुने ताबड़तोड़ मुकदमों की पत्रावलियों को खारिज कर रहे हैं।जो कि यह एक गंभीर समस्या है।
उन्होंने कहां प्रशासनिक अधिकारी कुंभकर्णी नींद में मस्त है और अदम पैरवी के दौरान बिना दोनों पक्षों को सुने मुकदमों को खारिज कर दिया जा रहा है। अध्यक्ष महोदय ने तहसील न्यायालयों पर फैले भ्रष्टाचार को लेकर अपनी नाराजगी दिखाते हुए उसकी कठोर निंदा की। धरना सभा को संबोधित करते हुए पूर्व अध्यक्ष श्याम नारायण पांडे ने कहा आजादी की लड़ाई में अधिवक्ताओं की बहुत बड़ी भूमिका थी उन्होंने कहा अधिवक्ता अन्याय के खिलाफ लड़ना जानता है और इसकी लड़ाई आर पार की लड़ी जाएगी।
मंत्री ब्रह्मानंद मिश्र ने कहा हजारों की संख्या में खारिज मुकदमों के वाजदायरा को नहीं लिया जा रहा है और ना ही उन्हें ऑनलाइन दर्ज किया जा रहा है उन्होंने कहा कि बिना किसी सूचना के मुकदमों को ऑनलाइन खारिज कर दिया गया है।
धरना सभा के दौरान अपने संबोधन में अपने विचारों को रखते हुए पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश प्रकाश तिवारी ने कहा यहां की सरकार और उच्च न्यायालय की जनता की सुलभ न्याय दिलाने की मंशा को बीकापुर के अधिकारी ताख पर रखते हुए मटरगश्ती करने में मस्त हैं।
इसी कड़ी में धरना सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता व क्रांतिकारी नेता राम अवध यादव ने कहा जनता का हित सर्वोपरि है अधिवक्ता बिकाऊ नहीं है वह न कभी डरा है ना डरेगा क्योंकि डर के आगे जीत है। जिंदगी में अधिवक्ता के हक की लड़ाई लड़ने का मजा तब आता है जब अधिवक्ता संघ के साथी अपनी बातों को मनवाने के लिए इस गूंगे बहरे प्रशासन को जोर का तमाचा लगाये तभी यह प्रशासन अपनी कुंभकरणीय नींद से जागेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता राम तेज वर्मा ने धरना सभा को संबोधित करते हुए कहा कि एक आईपीएस अधिकारी कहीं का गवर्नर नहीं होता है। बल्कि वह जनता का नौकर होता है। और सरकार वादकारी जनता की समस्याओं को सुनने के लिए उसे इस पद पर मनोनीत करता है। लेकिन उन्होंने कहा कि विगत कई महीनो से बीकापुर तहसील न्यायालय को उच्च अधिकारियों ने ट्रेनिंग का सेंटर का अखाड़ा बनाकर छोड़ दिया है जो भी अधिकारी यहां आता है उसे ट्रेनिंग के स्तर पर भेजा जाता है जो कि यह बहुत ही चिंता का विषय है।
उन्होंने शासन और प्रशासन से गुजारिश की कि इसे बीकापुर का ट्रेनिंग सेंटर ना बनाया जाए। उन्होंने कहा ट्रेनिंग स्तर पर आए हुए अधिकारियों को छोटा अ बड़ा आ और एबीसीडी नहीं आती बल्कि उल्टे वे वादकारी जनता का ही शोषण करते हैं। और उन पर अपनी धौंस दिखाते हैं।
इस दौरान धरना सभा को पूर्व अध्यक्ष तुलसीराम तिवारी, शेख मोहम्मद इशाक, उमेश प्रसाद पांडे, ओम प्रकाश यादव, बैजनाथ यादव, लश्करी प्रसाद पांडे, श्याम मनोहर पांडे, राम सजीवन पांडे, प्रमोद शर्मा, मोइनुद्दीन, रामनयन सिंह ,चंद्रभूषण दुबे, के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता राम जगत तिवारी, अवध राम यादव, मोहम्मद शोएब ,सदानंद पाठक, बृजेश तिवारी, बृजेश यादव, अरुण मिश्रा, आलोक सिंह , उपाध्यक्ष राधेश्याम गौड़ ,अमरनाथ दुबे, अनंत नारायण पांडे ,सुरेंद्र कुमार पांडे ,अशोक मिश्रा, कालिंदी पाल ,अमरजीत, श्रीकांत तिवारी ,राजेश चंद्र पाठक, अवधेश सिंह, महीप यादव ,मनोज यादव ,उमेश चंद्र पांडे, मंसाराम वर्मा ,दिनेश कुमार पांडे, पुष्पेंद्र मिश्र समेत सैकड़ो अधिवक्ता अपने विचारों को रखते हुए धरना प्रदर्शन में मौजूद रहे।