सरद पूर्णिमा का कार्यक्रम क्यों मनाया जाता है इसका एक सदियों से चला आ रहा इतिहास है
प्रत्येक व्रत में उसकी प्रकृति के अनुरूप कुछ विशेष त्यौहार मनाते हैं शरद पूर्णिमा इस मौसम का प्रधान पर्व है प्राचीन काल में इसे कौमुदी महोत्सव के नाम से जाना जाता है किंतु आज मुख्यतः इसे कोजागरीकी लक्ष्मी पूजा भगवान श्री कृष्ण के रासो उत्सव तथा अमृत अमृत मयी चांदनी के कारण ही प्रसिद्ध प्राप्त है ऐसा माना जाता है महालक्ष्मी सबको दुख दरिद्र से मुक्ति का वरदान देती हैं किंतु जिस घर के प्राणी सो रहे होते हैं महालक्ष्मी दरवाजे से ही वापस चली जाती हैं शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि में चंद्रमा की सोलह कलाओं से अमृत वर्षा होने पर ओस के कण के रूप में अमृत बूंदे खीर के पात्र में भी गिरेगी जिसके फलस्वरूप यही खीर अमृत तुल्य हो जाएगी इसी के दिन भगवान विष्णु शेष शैया पर सहन करने के लिए गए थे शेष नाग ने अमृत वर्षा किया था।
रिपोर्ट विजय कुमार शर्मा ibn24x7news बिहार