Ibn news Team DEORIA
रिपोर्ट सुभाष चंद्र यादव
![](https://ibn24x7news.com/wp-content/uploads/2024/05/img-20240501-wa00031447034995772687559-1024x768.jpg)
![](https://ibn24x7news.com/wp-content/uploads/2024/05/img-20240501-wa00022732881854981363628-1024x461.jpg)
![](https://ibn24x7news.com/wp-content/uploads/2024/05/img-20240501-wa00012248730422152947998-1024x461.jpg)
कलेक्ट्रेट परिसर देवरिया में पहली मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल आफ ट्रेड यूनियंस (एक्टू ) के तत्वाधान में “वर्तमान भारत में मजदूरों की दशा और दिशा” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में कारपोरेट की सरकार द्वारा मजदूर आंदोलन पर किए जा रहे हैं हमले, मजदूरों के संगठन बनाने के अधिकार को रोकने, श्रम कानून को खत्म कर तीन श्रम संहिताएं लागू करने ,मजदूर के काम के घंटे को असीमित करने और उन्हें स्थाई मजदूर के रूप में न रखकर ठेका मजदूरी को बढ़ावा देने वाली नीतियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया गया और कॉरपोरेट राज को खत्म कर मजदूर किसानों के समाजवादी राज्य की स्थापना का संकल्प लिया गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मजदूर आंदोलन एक्टू की नेता कामरेड प्रेमलता पांडे ने कहा कि आज सरकारी संस्थानों में भी काम करने वाले लोगों को न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जा रही है। रसोईया को मात्र ₹2000 महीने का वेतन दिया जाता है। उसे भी समय पर नहीं दिया जाता। प्राइवेट सेक्टर में मजदूरों की आमदनी घटती जा रही है, मजदूरी घटती जा रही है और पूंजी पतियों का मुनाफा बढ़ता जा रहा है, ऐसी सरकार की नीतियां हैं। काम के अनुसार वेतन देने की संवैधानिक जिम्मेदारी से सरकार पल्ला झा चुकी है। न्यूनतम मजदूरी और समान काम का समान वेतन अब कहने सुनने की बातें होकर रह गई हैं। ऐसे में जरूरी है की वर्तमान तानाशाह सरकार को बदलकर मजदूरों की पीड़ा सुनने वाली लोकतांत्रिक सरकार का निर्माण किया जाए।
गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए मजदूर किसान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष शिवाजी राय ने कहा कि वर्तमान सरकार पूरी तरह मजदूर और किसान विरोधी तथा कारपोरेट परस्त है। उन्होंने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का उत्सव पूरे दुनिया के मजदूरों के बीच मनाया जा रहा है जिसने संघर्षों के बल पर दुनिया भर में मजदूरों के काम के घंटे को नियंत्रित कर 8 घंटे काम के 8 घंटे आराम के 8 घंटे मनोरंजन के का नारा दिया और मजदूरों को मानवीय गरिमा के साथ काम करने का अधिकार उपलब्ध कराया जिस पर आज संकट छाया हुआ है। आज उन अधिकारों को बचाने के लिए फिर से बड़े पैमाने पर संगठित होकर संघर्ष करने की जरूरत है।
पंचायत आंदोलन के नेता और गन्ना मिल चलाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष बृजेंद्र माणि त्रिपाठी ने कहा कि सरकार की निजीकरण की नीतियों के चलते मिले बंद हो गई हैं। मजदूरों के मजदूरी छीन गई है और किसानो की आय समाप्त हो गई है।
भाजपा सरकार ने मिल को संचालित करने के वादे करके जनता से वोट लिया है लेकिन संचालित नहीं किया है।
समान शिक्षा आंदोलन के नेता डॉक्टर चतुरानंद ओझा ने कहा कि मजदूर किसानों के साथ ही उनके बच्चों को पढ़ने वाले स्कूलों का निजीकरण करना भी बहुत भयानक है। इसने न सिर्फ शिक्षा को और चिकित्सा को व्यवसाय बना दिया है बल्कि छात्रों और अभिभावक और शिक्षकों के उत्पीड़न को बढ़ाया है। शिक्षकों को न्यूनतम से कम वेतन देकर काम करने के लिए मजबूर कर दिया गया है जिसने शिक्षण संस्थानों को डिग्री बांटने वाले संस्थानों में तब्दील कर दिया है, शिक्षा की गरिमा को समाप्त कर दिया है। आज सबको एक समान और मुफ्त शिक्षा व्यवस्था लागू करने के लिए किसानों मजदूरों के संगठित आंदोलन का साथ मिलना जरूरी है। आज जरूरत है पूंजीपतियों के शासन को खत्म कर किसानों मजदूरों के राज को स्थापित करने की है इसके अलावा समाज का कोई भविष्य नहीं है।
पूर्व श्रम अधिकारी सुरेश चंद्र ने कहा कि श्रमिकों को श्रम विभाग में पंजीकरण के लिए जागरूक होना चाहिए और जिन्होंने पंजीकरण कराया है उन्हें उससे मिलने वाले लाभ के प्रति भी जागरूक होना होगा। क्योंकि पंजीकरण कराने के बाद मिलने वाले शिक्षा, विवाह, चिकित्सा संबंधित लाभ को लेने के लिए लोग आवेदन नहीं करते हैं और लाभ से वंचित रह जाते हैं।
वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य एवं कामरेड कलेक्टर शर्मा और कामरेड नीलम सिंह ने मजदूर आंदोलन से जुड़े क्रांतिकारी गीत गाए और सभी मजदूरों के संगठित होने का आह्वान किया। संगोष्ठी को संजीव शुक्ला, कामरेड विजय कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट, कृष्ण बिहारी दुबे, अरविंद गिरी आदि ने संबोधित किया। संगोष्ठी में मजदूर एकता जिंदाबाद। दुनिया के मजदूरों एक हो। मई दिवस की क्रांतिकारी विरासत अमर रहे। मजदूर राज कायम करो। पूंजीवाद हो बर्बाद ।इंकलाब जिंदाबाद। आदि नारे लगाए गए कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर चतुरानन ओझा ने किया।
चतुरानन ओझा