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जनउपयोगी होना चाहिए शोध का विषय: प्रो. मधुर कुमार

रिपोर्ट ब्यूरो गोरखपुर

गोरखपुर। शोध प्रपत्र लेखन एक कठिन कार्य है क्योंकि यह कार्य आलोचनात्मक,सृजनात्मक तथा चिन्तन स्तर का है। शोध प्रपत्र लेखन में एक विशिष्ट प्रक्रिया का अनुसरण करना होता है जिसमें समुचित क्रम को अपनाया जाता है। शोध प्रपत्र सम्पूर्ण शोध के परिणाम व सुझाव से युक्त वह प्रपत्र है जो स्व विचार के स्थान पर तथ्य निर्धारण हेतु तत्पर शोध आधारित दृष्टिकोण से वास्ता रखता है। शोध का विषय सामयिक का जनउपयोगी होना चाहिए।

उक्त वकत्व यूजीसी एचआरडी सेंटर गोरखपुर के तत्वावधान में आयोजित तीसरे फ़ैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के सेमिनार सत्र की अध्यक्षता करते हुए बीआरए यूनिवर्सिटी, मुजफ्फरपुर बिहार के प्रो. मधुर कुमार ने दिया।
कार्यक्रम के  दूसरे सत्र में ‘प्रीपेयर्ड्नेस् फॉर डिजास्टर’ विषय पर दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के जन्तु विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. वीना बत्रा कुशवाहा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आपदाओं को रोका नहीं जा सकता है परंतु इससे होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है। यह किसी एक देश या क्षेत्र की समस्या न होकर वैश्विक समस्या है अतः हमें इन आपदाओं के प्रति जागरूक होने के साथ साथ अपने परिवार और समाज को भी चैतन्य करने की जरूरत है । आपदा के पूर्व, आपदा के दौरान तथा आपदा के बाद बचाव के लिए सैद्धांतिक ज्ञान के साथ साथ व्यावहारिक ज्ञान भी जरूरी है।
कार्यक्रम के तीसरे सत्र में गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. अनुभूति दूबे ने इमोशनल इंटेलिजेंस विषय पर उद्बोधन देते हुए कहा कि इमोशनल इंटेलिजेंस जन्मजात प्रवृत्ति न होकर एक सामाजिक कौशल है, जिसे प्रयास द्वारा बढ़ाया जा सकता है। इमोशनल इंटेलिजेंस से तात्पर्य स्वयं की भावनाओं को समझना व उनका प्रबंधन, सामाजिक जागरूकता और दूसरे की भावनाओं को समझते हुए स्वयं को प्रेरित करना है। हमारे अंदर सहानुभूति की भावना के साथ साथ परानुभूति भी होना आवश्यक है।

विषय प्रवर्तन करते हुए कार्यक्रम के समन्वयक प्रो अजय शुक्ला ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों में विभिन्न दक्षताओं का विकास करना है। प्रो शुक्ला ने यह भी बताया कि सेमिनार सत्रों के संचालन के बाद माइक्रो टीचिंग का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रतिभागियों द्वारा शिक्षण कौशल का प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सह समन्वयक डॉ मनीष पाण्डेय ने किया। एचआरडी सेंटर के निदेशक प्रो रजनीकांत पाण्डेय ने कार्यक्रम का ऑनलाइन निरीक्षण किया। कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों का संचालन डॉ अकील अहमद, डॉ तनु श्रीवास्तव, डॉ नरोत्तम कुमार तिवारी, डॉ यशवंत यादव, डॉ सुधा यादव एवं डॉ गरिमा राय ने किया।

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