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इबादत और गुनाहों की माफी का महीना है रमजान

 

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट

फरीदाबाद: माह-ए-रमजान का महीना रहमत व नेमतों का महीना है। महीने में एतकाफ का सबसे बड़ा महत्व है। एतकाफ करने वाला इंसान एकांत कमरे में बैठ कर अल्लाह की इबादत करता है। एतकाफ करने वाले के साथ पूरी बस्ती के लोगों का गुनाह माफ होता है। इसे जिम्मेवार लोग ही करते हैं। रोजा को तीन अशरा में बांटा गया है। पहला रहमत का है।

इस में अल्लाह की रहमत अपने नेक बन्दों पर बरसता है। ये 10 दिन तक रहता है। दूसरा मगफिरत का है। इसमें सभी को अल्लाह गुनाहों से मगफिरत देता है। आखिरी 10 दिन आग से निजात का होता है। इसमें अपने- अपने वालदैन सहित सभी लोगों के लिए दोजख की आग से निजात के लिये दुआ मांगी जाती है। तो वहीं समाज सेवक फिरोज खान ने बताया कि इस माह में एक-एक पल अल्लाह की इबादत में गुजरना चाहिए।

अगर किसी ने एक रोजा छोड़ दिया तो लगातार दो माह रोजा रखने के बाद भी रमजान के रोजे की भरपाई नहीं होगी और इस माह में कुरान को सुनते हुए नमाज अता करना चाहिए। रोजा में तरावीह का बहुत आला मुकाम मिलता है। तो वहीं जेजेपी नेता हाजी करामत अली ने कहा कि घर के सभी लोग रोजा रखते हैं।

उनके साथ सेहरी खाने,नमाज पढ़ने के बाद एक साथ इफ्तार करना अच्छा लगता है। सभी को रोजा पूरी पाबंदी के साथ रखना चाहिए। अल्लाह को रोजा बहुत पसंद है। रोजा में सब गुनाह अल्लाह माफ करते है। एक नेकी की जगह 70 नेकी देते हैं।

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