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मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने सह-आयोजक के रूप में पहली बार में न्यूरोसर्जन एसोसिएशन की 8वीं वार्षिक कांफ्रेंस का आयोजन किया

 

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट

फरीदाबाद:मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने 26 से 28 अप्रैल 2024 के बीच ताज विवांता,सूरजकुंड में उत्तर-पश्चिम जोन के न्यूरोसर्जन एसोसिएशन की 8वीं वार्षिक कांफ्रेंस की सह-मेजबानी की। डॉ.तरुण शर्मा,क्लिनिकल डायरेक्टर,ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी ने आयोजन समिति में सह-अध्यक्ष के रूप में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स का प्रतिनिधित्व किया।

जबकि मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद के ब्रेन और स्पाइन सर्जरी के एसोसिएट क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ.सचिन गोयल कांफ्रेंस में सह-आयोजन सचिव थे। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं ग्रुप सीईओ डॉ.राजीव सिंघल द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

कांफ्रेंस को एक एकेडमिक (शैक्षिक) शानदार आयोजन के रूप में रखा गया था। इस कार्यक्रम के दौरान खासतौर पर ब्रेन और रीढ़ की सर्जरी के क्षेत्र में नई प्रक्रियाओं और सर्जरी पर डॉक्टरों द्वारा अपनी राय,महत्वपूर्ण जानकारी और स्किल एग्जीबिशन (कौशल प्रदर्शनी) का आदान-प्रदान किया गया। नेतृत्व प्रतिनिधियों ने बेहतरीन परिणामों के लिए वास्तविक समय मोड में प्रक्रियाओं को प्रदर्शित करने के लिए न्यूरो सर्जरी के सभी पहलुओं में सबसे प्राथमिकता वाले विषयों के क्रॉस-सेक्शन पर महत्वपूर्ण जानकारी दी।

डॉ.राजीव सिंघल,मैनेजिंग डायरेक्टर एवं ग्रुप सीईओ,मैरिगो एशिया हॉस्पिटल्स ने कहा न्यूरोसर्जन के रूप में डॉक्टर केवल ब्रेन और रीढ़ की हड्डी का इलाज ही नहीं करते हैं वे मरीज में जीने की उम्मीद जगाने और उसके जीवन को बेहतर बनाने का महत्वपूर्ण कार्य भी करते हैं। न्यूरोसर्जनो की वार्षिक कांफ्रेंस सिर्फ विशेषज्ञों की बैठक नहीं है, बल्कि नवाचार का एक भंडार भी है जहां विचार गढ़े जाते हैं,ज्ञान साझा किया जाता है और संबंध मजबूत होते हैं।

यह इस सुपर-स्पेशलाइज्ड क्षेत्र में प्रगति की आधारशिला है,जो हेल्थकेयर प्रदाताओं को अपनी हद से बाहर जाकर बेहतरीन प्रयास करने और अंततः हमारे रोगियों के जीवन में सुधार करने के लिए प्रेरित करता है। ब्रेन और स्पाइन विषयों पर 3-दिवसीय कार्यक्रम में शामिल किए गए सत्रों में विशेषज्ञता के कुछ क्षेत्रों का उल्लेख करने के लिए ब्रेन और रीढ़ के ट्यूमर में नवीनतम तकनीकों के ज्ञान को साझा करने और स्कोलियोसिस से प्रभावित रीढ़ की हड्डी के सर्जिकल सुधार पर चर्चा की गई।

चर्चित क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने नई प्रक्रियाओं और तकनीकों की समझ और उन्हें अपनाने पर विस्तार करने के लिए अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दायरे और न्यूरोसर्जरी में एआई के उपयोग के साथ उपचार समाधानों को बेहतर करने पर चर्चा हुई। इस दौरान कुछ विषयों का उल्लेख करने के लिए ‘न्यूरो सर्जरी में रेडियोसर्जरी की भूमिका को परिभाषित करना’और’न्यूरो सर्जरी में एक सहायक के रूप में अल्ट्रासोनोग्राफी’जैसे विषयों पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा हुई।

इस कार्यक्रम में न्यूरोसर्जिकल प्रक्रियाओं में विशेषज्ञों द्वारा आयोजित कार्यशालाओं के माध्यम से क्लीनिकल एक्सीलेंस का भी प्रदर्शन किया गया। मैरिगो एशिया हॉस्पिटल्स के ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी के क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ.तरुण शर्मा ने कहा कांफ्रेंस को देश के उत्तर-पश्चिम हिस्सों से विशेषज्ञों के एक संगम के रूप में डिजाइन किया गया था। ताकि वे एक साथ आयें और समस्याओं का समाधान करने के लिए अपने अनुभव साझा कर सकें और बेहतर परिणामों के लिए तैयारी कर सकें।

न्यूरो-इंटरवेंशन की कुछ सबसे पुरानी प्रक्रियाओं ने हाल के दशक में गति पकड़ी है। डीबीएस एक ऐसी प्रक्रिया है जो विभिन्न आयु वर्ग के लोगों में कई चिकित्सीय स्थितियों के इलाज के लिए न्यूरोलॉजिकल प्रक्रियाओं में एक पसंदीदा उपचार समाधान के रूप में उभरी है। केस स्टडी के रूप में उन मरीजों की भी चर्चा की गई जिनमें न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को ठीक करने के लिए इन प्रक्रियाओं का उपयोग किया गया था।

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के पास पूरी शृंखला में न्यूरोसर्जनों की एक टीम है जो डीबीएस प्रक्रियाओं में विशेषज्ञ हैं और क्रोनिक डिप्रेशन,पार्किंसंस रोग और यहां तक कि सिज़ोफ्रेनिया जैसी चिकित्सा स्थितियों के इलाज में सुपर स्पेशलाइज्ड हैं,जो भारत में पहली बार और दुनिया में 14वीं बार है। इस कमी को पूरा के लिए भारत को प्रति वर्ष कम से कम 5000 से 6000 न्यूरोसर्जनों की आवश्यकता है। न्यूरोसर्जन आघात, ट्यूमर,मस्तिष्क संक्रमण,उम्र बढ़ने के कारण रीढ़ की हड्डी में आए विकार (स्पाइनल डिजनरेटिव डिजीज) और पार्किंसंस रोग जैसे नर्वस सिस्टम के प्रगतिशील विकारों के लिए नर्वस सिस्टम के सर्जिकल उपचार में विशेषज्ञ हैं। वर्तमान में,भारत में 1.35 अरब की आबादी के लिए लगभग 3,800 न्यूरो सर्जन हैं।

पिछले पांच वर्षों में सीटों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, सरकार ने देश भर में न्यूरोसर्जिकल रेजीडेंसी कार्यक्रमों के लिए मौजूदा चार से पांच सीटों को प्रति वर्ष 10 से 12 सीटों तक आवंटित किया है। 2020 तक, देश में लगभग 8,000 से 9,000 न्यूरोसर्जन होने की उम्मीद थी, लेकिन लगातार बढ़ती आबादी के साथ, संख्या बढ़ाने की आवश्यकता होगी।

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