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खेलों की गोल्डन क्वीन बहनें मोनल व नीरल पहुंची वैष्णोदेवी मंदिर

 

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट

फरीदाबाद:खेलों की दुनिया में गोल्डन क्वीन की उपाधि से सम्मानित फरीदाबाद की बहनों मोनल व नीरल कुकरेजा ने गुरूवार को महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में पहुंचकर स्कंद माता की पूजा अर्चना हिस्सा लेकर हवन यज्ञ में अपनी आहुति डाली। मोनल व नीरल ने क्कि बांक्सिंग में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुल 147 मैडल जीते हैं,इनमें से 134 गोल्ड मैडल हैं।

इस शानदार उपलब्धि को हासिल करने के बाद से इन दोनों बहनों को गोल्डन क्वीन के नाम से पुकारा जाता है। यह दोनों बहनें अपने परिवार के साथ विशेष पूजा अर्चना में शामिल होने के लिए वैष्णोदेवी मंदिर में पहुंंची और माता रानी का आर्शीवाद लिया तथा अपनी कामयाबी के लिए माता रानी का धन्यवाद भी किया। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने मोनल व नीरल कुकरेजा एवं उनके परिजनों को माता रानी की चुनरी भेंट कर सम्मानित किया। भाटिया ने कहा कि मोनल व नीरल कुकरेजा पहले भी माता रानी के मंदिर में आ चुकी हैं और अब फिर से माता रानी का आर्शीवाद लेने आई हैं।

भाटिया ने कहा कि इन दोनों बहनों ने अपनी अथक मेहनत और शानदार खेलों से ना केवल दुनिया भर में इतिहास रचा है,बल्कि अपने देश,प्रदेश व शहर का नाम भी रोशन किया है। इसके लिए इन दोनों बहनों व उनके परिजनों की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। जगदीश भाटिया ने कुकरेजा परिवार के साथ स्कंदमाता की पूजा अर्चना व हवन यज्ञ में हिस्सा लिया तथा उन्हें माता रानी का प्रसाद दिया।

कुकरेजा परिवार ने अपनी बेटियों की इस कामयाबी पर जहां मातारानी का आभार जताया।वहीं प्रधान जगदीश भाटिया ने कहा कि बेटियों को कभी भी बेटों से कम नहीं आंकना चाहिए। आम तौर पर समाज की सोच है कि वंश को केवल बेटे ही चलाते हैं,पंरतु मोनल व नीरल ने इस सोच को गलत साबित कर दिखाया है।

उन्होंने कहा की वंश ना तो बेटों से चलता है और ना ही बेटियों से चलता है,बल्कि वंश तो संस्कारों से चलता है। इसे इन दोनों बहनों ने साबित कर दिखाया है। इस अवसर पर भाटिया ने मोनल व नीरल को उनकी कामयाबी के लिए शुभकामनाएं दी और कहा कि माता रानी के आर्शीवाद से वह भविष्य में भी इसी प्रकार से सफलता प्राप्त करती रहेगीं। उन्होंने कुकरेजा परिवार के साथ साथ सभी भक्तों को नवरात्रों की शुभकामनाएं दी।

उन्होंने स्कंद माता की पूजा अर्चना करने आए भक्तों को बताया कि मां को प्रसाद के रूप में केला पसंद है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। कहा जाता है कि संतान प्राप्ति के लिए स्कंद माता की विशेष पूजा अर्चना करने से मनोकामना की पूर्ति होती है तथा इसका लाभ मिलता है। मां स्कंद की सच्चे मन से पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है।

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