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विदेशी कीट फाल आर्मी वर्म की संभाग स्तरीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

(प्रमोद कुमार गर्ग )

भीलवाड़ा, 25 जून। राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान दुर्गापुरा, जयपुर द्वारा 25 जून व 26 जून को दो दिवसीय भीलवाड़ा के आत्मा सभागार में खण्ड स्तरीय ऑफ केम्पस प्रशिक्षण अन्तर्गत मक्का में फाल आर्मी वर्म कीट नियंत्रण एवं प्रबन्धन विषय पर तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया।

कार्यशाला के प्रथम दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में निदेशक ईश्वर लाल यादव ने अवगत कराया कि विदेश कीट फाल आर्मी वर्म से सावधान रहने की आवश्यकता है। यह कीट मेवाड व वागड़ क्षैत्र में वर्ष 2021-22 से उत्पात मचा कर क्षैत्र की मुख्य फसल मक्का में 50 से 60 प्रतिशत तक हानि पहुंचाई हैं।

इस प्रशिक्षण में संभाग के अतिरिक्त निदेशक कृषि डॉ. रामावतार शर्मा, संयुक्त निदेशक गुण नियंत्रण, गजानन्द यादव, कृषि आयुक्तालय, जयपुर तथा संयुक्त निदेशक कृषि, गोपाल लाल कुमावत, संयुक्त निदेशक चित्तौड़गढ़ दिनेश कुमार जागा, संयुक्त निदेशक, राजसमन्द, कैलाश चन्द्र मेघवंशी एवं कृषि विज्ञानिक डॉ. किशन जीनगर, डॉ. ललित कुमार छाता, मुख्य वैज्ञानिक बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र, आरजिया ने भाग लिया। कार्यशाला में संभाग के कृषि अधिकारियों से संयुक्त निदेशक कृषि/उद्यान स्तर के 60 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। कार्यशाला का यूट्यूब के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया जिससे क्षैत्र में कार्यरत सहायक कृषि अधिकारी/कृषि पर्यवेक्षक एवं उनके द्वारा बनाये गये वाट्सएप ग्रुप के कृषकों ने जानकारी प्राप्त की।

कीट वैज्ञानिक डॉ. किशन जीनगर ने उक्त कीट के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि इस कीट की नवजात सुन्डी मक्का के पौधे के तने में छेद करके अन्दर घुस जाती है. जैसे-जैसे पौधा बड़ा होता जाता है, पत्तियों पर एक पक्ति में कुछ छेद दिखाई देते है, जो की इसके शुरुआती लक्षण के तौर पर देखे गये हैं।
सुण्डी जब पौधे की छोटी अवस्था में आक्रमण करती है, तो पौधों की बढ़वार बिन्दु को मार देती है। जिससे पौधों की नई पतियों एवं भुट्टा नहीं बन पाते है। जैसे-जैसे सूण्डी बडी होती जाती है पौधे के अन्दर के भाग को खाती रहती है। जिससे पत्तियाँ कटी-फटी दिखाई देती है तथा जिस जगह सुण्डी खाती है उस जगह बहुत सारी विष्ठा एकत्रित हो जाती है, जो इस कीट से ग्रसित पौधों की पहचान का लक्षण है।

यह करें उपाय-
खेत में सुण्डियों की संख्या बढ़ जाने पर यह मक्का के भुट्टों में छेद कर दानो को खा जाती है। अधिक आक्रमण के कारण पौधा छोटा रह जाता है, जिससे मक्का के उत्पादन में लगभग 15 से 75 प्रतिशत कमी हो जाती है। इसके नियंत्रण हेतु जब फसल में 5 प्रतिशत नुकसान हो तब एजाडिरेंक्टिन 1500 पीपीएम की 5 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें। फसल में इस कीट से 10 से 20 प्रतिशत नुकसान होने पर इमामेक्टिन बेन्जोएट की 4 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पाईनासेड की 0.3 मि.ली. लीटर पानी या थायोंमिथेक्सोन 12.6 प्रतिशत लेंम्डासाइहेलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत की 0.5 मि.ली. प्रति लीटर या क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोल की 0.3 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

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