अहरौरा_मीरजापुर। धनतेरस की मान्यता सनातनी व्यवस्था में महत्वपूर्ण है। कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। संसार में आज के दिन ही चिकित्सा के विस्तार और प्रसार हेतु अमृत कलश लेकर समुन्द्र मंथन के दौरान भगवान् धन्वंतरि प्रगट हुए थे। आज के दिन ही चांदी, पीतल के वर्तन की खरीदारी शुभ माना जाता है क्योंकि भगवान धन्वंतरि को यह प्रिय है। माता लक्ष्मी और महाराज कुबेर जी का आह्वान आज किया जाता है जिससे वह प्रसन्न होंवे। वर्ष भर घर धन्य धान्य से भरा रहे और चिकित्सा पद्धति के जन्मदा की कृपा पात्र परिवार पर बनी रहे। शारीरिक रूप से परिवार निरोगी रहे। इस त्योहार पर बाजारों में रौनक छायी होती है। सर्राफा व्यवसायियों के साथ अप्रिय घटना न घटित हो और साथ ही साथ बाजार में भीड़ भाड़ का संचालन ठीक से हो सके इसलिए पुलिस प्रशासन बाजार में चक्रमण करती रहती है। अहरौरा बाजार में भी यहीं हो रहा था। पैदल पुलिस गस्त करती रही लेकिन देहाती बाजारों में दीपावली का महत्व ज्यादा होता है सो धनतेरस के दिन प्रशासनिक चुस्त थी लेकिन खरीदार की कमी से व्यापारी मायूस दिखे। जबकि अहरौरा मिट्टी से बने सामानों का बड़ा बाजार है जो दीपावली के इंतजार में अभी धरे के धरे हैं। बाजारों की रौनक क्षेत्र की आर्थिक संपन्नता पर रहती है जो कम से कम आज धनतेरस के दिन अहरौरा में नहीं दिखा।
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