Ibn news ब्यूरो रिपोर्ट देवरिया
देवरिया (सू0वि0) 30 जनवरी। जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने कृषकों को अवगत कराया है कि इस समय मौसम का मिजाज बदलने लगा है। ठंड के साथ कोहरा भी पड़ने लगा है, इससे फसलों में फॅफूदीजनित रोग की आशंका बढ़ गयी है। इसका प्रभाव विशेषकर आलू, टमाटर व तिलहनी फसलों पर होता है। रबी की फसलों को बदलते मौसम के प्रकोप से बचाने के लिये किसान भाईयों को सचेत रहने की आवश्यक्ता है। मुख्य रूप से आलू,टमाटर व राई सरसों आदि तिलहनी फसलों पर कोहरा पड़ने व धूप पर्याप्त न मिलने के कारण झुलसा रोग फैलने की संम्भावना बढ़ जाती है चूकि इस मौसम में पौधे की बढ़वार अधिक होती है और पतिया मुलायम व छोटी होती है इस वजह से जन सी चूक से फसल को नुकसान हो सकता है।
राई / सरसों में माहू एवं पत्ती सुरगक कीट के नियंत्रण हेतु एजाडिरेक्टिन 0.12 प्रतिशत ई०सी० की 2.5 लीटर मात्रा को 500-600लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। रसायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रति0 ई०सी० अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रति० ई०सी० की 1.0 लीटर मात्रा को 600-750 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गरुई एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रति० डब्लू०पी० की 2.0कि0ग्रा0 अथवा मैटालैक्सिल 8 प्रतिशत + मैंकोजेब 64 प्रतिशत डब्लू०पी०की 2.5 कि०ग्रा० मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
चना / मटर में फली बेधक एवं सेमीलूपर कीट के नियंत्रण हेतु खेतों में बर्ड पर्चर लगाना चाहिए। बी०टी० 10. किग्रा० अथवा एनपी बी 2 प्रतिशत ए०एस० 250-300 एल0ई0 प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 250-300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कराना चाहिए अथवा एजाडिरेक्टिन0.03 प्रतिशत डब्लू०एस०पी० 2.5-3.0 किग्रा० मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। पत्ती धब्बा एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० की 2.0 किग्रा० अथवा कापर आक्सीक्लोराईड 50 प्रतिशत की 3.0किग्रा० मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
बुकनी रोग के नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत 2.0 किग्रा० अथवा ट्राइडेमेफान 25 प्रतिशत डब्लू०पी०250 छिड़काव करें। आलू ग्राम 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से
आलू में अगेती व पछेती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० 2 किग्रा० अथवा कापर आक्सीक्लोराईड 50प्रतिशत डब्लू०पी० की 2.5 किग्रा० की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
मक्का में फाल आर्मी वर्म के नियंत्रण हेतु अण्ड परजीवी जैसे ट्राईकोग्रामा प्रेटिओसम अथवा टेलीनोमस रेमस के 50000 अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से इनकी संख्या की बढ़ोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है। यांत्रिक विधि के तौर पर सांयकाल (07 से 09 बजे तक) में 8 से 10 प्रकाश प्रपंच प्रति हेक्टेयर की दर से लगाना चाहिए। 15 से 20 बर्ड पर्चर प्रति हेक्टेयर लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। 35-40 फेरोमोन ट्रेप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। 5 प्रतिशत पौध तथा 10 प्रतिशत मोभ क्षति की अवस्था में कीट नियंत्रण हेतु एन०पी०वी० 250 एल0ई0 अथवा मेटाराइजियम एनिप्सोली 5 ग्राम प्रति लीटर अथवा बैसिलस थुरिनजैनसिस (बी.टी.) 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से प्रयोग करना लाभकारी होता है। इस अवस्था में नीम आयल 5 मिली0 प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी कीटों की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। 10-20 प्रतिशत संक्रमण की स्थिति में रासायनिक नियंत्रण प्रभावी होता है। इस हेतु क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एस0सी00.4 मिली0 प्रति लीटर पानी अथवा इमामेक्टिन बेनजोइट 0.4 ग्राम प्रति लीटर परी अथवा स्पाइनोसैड 0.3 मिली०प्रति लीटर पानी की दर, से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
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