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अद्भुत मंदिर करीब 600 वर्ष पुराना है विश्व का सबसे बड़ा भगवान वराहश्याम का मंदिर

अद्भुत मंदिर करीब 600 वर्ष पुराना है। मंदिर में स्थापित वराहश्याम भगवान की मूर्ति जैसलमेर के पीले प्रस्तर से निर्मित

 

वराह जयन्ती आज

मनीष दवे/ भीनमाल, — भीनमाल शहर में स्थित वराहश्याम का मंदिर अतिप्राचीन व देश के गिने चुने मंदिरों में से एक है। यह मंदिर करीब 600 वर्ष पुराना है। मंदिर में स्थापित ह भगवान की मूर्ति जैसलमेर के पीले प्रस्तर से निर्मित है। जो आठ फीट लंबी व तीन फीट चौड़ी है। मूर्ति का आकर्षण दाएं भुजा में मेदिनी को धारण किए हुए। उनके चरणों के पास नाग-नागिन का युगल है जिनका उपर का हिस्सा मानव आकृतियों में है। इनके पास इंद्राणी तथा नारद की प्रतिमाएं भी उत्कीर्ण है।

मूर्ति इतनी भव्य एवं कलात्मक है कि मेदिनी उद्धार की घटना प्रत्यक्ष घटित होते हुए दिखाई पड़ती है। मंदिर में लंबे समय से शाकद्वीपीय ब्रहमाण समाज के लोग पूजा करते है। भगवान वराह के चरण पाताल पूजा करते .लोक अथवा नाग लोक में तथा सिर अंतरिक्ष में है। जिनके बीच पृथ्वी स्थित है। इसी कक्ष में बराह की अन्य लघु मूर्तियां भी रखी हुई है। इस कक्ष के बाहर की दीवार में भगवान सूर्य की पारसी पूजा पद्धति को मूर्ति लगी हुई है। जो जूते पहने हुए है। यह एक अत्यंत दुर्लभ मूर्ति है जो ईसा की पहली दूसरी शताब्दों के आस-पास इस क्षेत्र के पश्चिम एशिया के घनिष्ठ संपकों की कहानी कहती है। । मुख्य द्वार कक्ष के बाहर भगवान वराहश्याम के ठीक सामने वाली दीवार में सांतवी से दसवीं शताब्दी के बीच बनी अनेक दुर्लभ मूर्तियां लगी हुई है। जिनमें गणेश भगवान शिव भगवान, राधाकृष्ण व वराह भगवान की शामिल है। मंदिर की अन्य दीवारों में भीनमाल क्षेत्र के आस-पास से प्राप्त अत्यंत प्राचीन मूर्तियां स्थापित की गई है। जिनमें शेषशायी विष्णु, चक्रधारी विष्णु यक्ष व देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है किसी समय में भीनमाल में जगत विख्यात सूर्य मंदिर स्थित था। जिसे जगत स्वामी मंदिर कहा जाता था। यह मंदिर अब नहीं है उस मंदिर से संबंधित दुर्लभ मूर्तियां व लेख वराहश्याम, चंडीनाथ मंदिर व महालक्ष्मी मंदिर में रखे हुए है।

विष्णु के अवतार भगवान वराहश्याम

विष्णु भगवान के दशावतरों में से एक अवतार वराह अवतार है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने पाताल लोक में धंसी हुई पृथ्वी का उद्धार करने के लिए वराह (शुकर) का रूप धारण किया था। भगवान विष्णु ने वराह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप नामक देत्य को मार कर पृथ्वी को अपने दांतों पर रखकर पाताल लोक से बहार लेकर आए थे। यह घटना ऋषि ग्रंथों व पुराणों में इसका बखान किया गया है।

आठ फीट मूर्ति के मंदिर के बाहर खिड़की से होते है पूरे दर्शन

वराहस्याम मंदिर के बाहर मु य सड़क पर मूर्ति के सीय में एक खिड़की लगी हुई है। खिड़की से देखने पर आठ फीट लंबी व तीन फीट चौड़ी मूर्ति के पूरे दर्शन होते है। शहरवासी आते-जाते मंदिर के बाहर से भी दर्शन कर के जाते है।

मेलों एवं मंदिर में अन्नकूट का आयोजन रहता है विशेष

वराह जयंती को लेकर हर वर्ष मेले व विभिन्न धार्मिक कार्य मो का आयोजन किया जाता है। ट्रस्ट की ओर से देवझूलनी एकादशी, गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी व अन्य विशेष दिन पर विभि धार्मिक कार्य मों का आयोजन किया जाता है। मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को भगवान वराहश्याम को अट का भोग लगाया जाता है भोज में अन्नकूट 32 भोजन व 33 साग के व्यंजन का भोग लगाया जाता है।

मंदिर की शाकद्वीपीय ब्रह्माण करते है पूजा

विश्व भर में इतनी बड़ी वराहस्थाम भगवान की मूर्ति कहीं नहीं है, जो भीनमाल के मंदिर में स्थापित है। यहां पर प्रतिदिन शहर व आस-पास के गांवों से लोग भगवान के दर्शन के लिए आते है। मंदिर में शाकद्वीपीय ब्रह्माण समाज के लोग पूजा करते है।

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