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मनरी की थाप एवं पुजारी की चिंघाड़ से मेले का हुआ समापन

विज्ञान को चुनाैती देता है बेचूबीर मेला

धाम में आने से होती है मान्यता पूरी

पुजारी बृजभूषण यादव ने सबको प्रसाद देकर किया विदा

मीरजापुर। मनरी ने थाप लगाई, उसकी गूंज ने जनमानस की तंद्रा भंग की और महिला और पुरुष भक्तों के नयन सजल हो गए। अहरौरा बेचूवीर बाबा की चौरी पर टकटकी लगाए आंखों से अश्रूधारा बहने लगी। पुजारी की चिंघाड़ से एक अजीब सी आवाज ने वातावरण को आगोश में ले लिया। यह हाल मेले की महानिशा की रही, जहां सोमवार की मध्य रात्रि में घड़ी की सूई ने एक-दूसरे को छुआ तो तीन किमी क्षेत्र में फैले मेले का कोलाहल थम सा गया। श्रद्घालु चौरी की तरफ बढ़ने लगे और हजारों भक्तों की आंखें बाबा की चौरी पर टिक गईं।

अंतर प्रांतीय स्तर पर जंगलों एवं पहाड़ों के गर्भ में बसे बरही नामक ग्राम स्थित बाबा बेचूवीर का तीन दिवसीय मेले का समापन मंगलवार की सुबह यानी भोर में मनरी बजने के साथ ही हो गया। बाबा की चौरी पर तीन दिनों तक संतान प्राप्ति, भूतप्रेत बाधाओं के निवारण एवं असाध्य रोगों से ग्रसित दर्शनार्थियों ने मत्था टेका। मेला क्षेत्र में अंधविश्वास पर विश्वास का प्रकाश पुंज हावी रहा। एकादशी तिथि को मध्य रात्रि बाद वातावरण में छाई खामोशी को मनरी नामक वाद्य यंत्र ने भंग किया। मनरी की थाप और पुजारी की चिंघाड़ ने बरबस ही हजारों लोगों को चौरी की तरफ आकर्षित कर दिया और कोलाहल का मंजर थम गया। जैसे लगा कि मेले में आए भक्तों को अब कोई पीड़ा ही नहीं है। प्रसाद के रूप में पुजारी द्वारा चावल रूपी अक्षत को वितरण करते ही श्रद्धालुओं में उसे पा लेने की होड़ सी मच गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल लगाई गई थी। बावजूद इसके, अफरातफरी का माहौल रहा। आंखों में अभिलाषा और चेहरे पर सुख-पीड़ा भाव को लिए हुए दर्शनार्थी भावविभोर हो गए। विशाल मेले का आश्चर्यजनक पहलू यह रहा कि हजारों की संख्या में महिलाएं भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति एवं संतान प्राप्ति के लिए बाबा बेचूबीर की चौरी के सामने जमीन पर दो अगरबत्ती जलाकर ध्यान-मग्न होती रहीं। देखते ही देखते उनके शरीर में कंपन होने लगता। खेलने-हबुआने व अपने बाल खोलकर लहराने के साथ ही क्रोधित व अनर्गल प्रलाप करना तथा उनके नृत्य से पूरा माहौल अद्भुत सा हो गया, लेकिन भक्तों की नजरें हमेशा बाबा की चौरी पर ही टिकी रहीं। मनरी बजने के समय बेचूबीर वंसज व मेला व्यवस्थापक रोशन यादव (एडवोकेट) और पुजारी दलश्रृंगार यादव, पुजारी बृजभूषण यादव मौजूद रहे।

बेकहानीचूबीर बाबा व बरहिया माता की 

अहरौरा से लगभग 12 किलोमीटर दूर बरही गांव में स्थित इस ऐतिहसिक स्थल को लेकर कहा जाता है कि आज से करीब तीन सौ वर्ष पहले बरही गांव में घनघोर जंगल हुआ करता था। इस जंगल में लोग पशु चराने जाया करते थे। ऐसी मान्यता है कि पटीहटा गांव के निवासी बेचू यादव जो कि शिव भक्त थे, वो एक दिन बेचू यादव अपने जानवरों को चराने के लिए बरही जंगल गये हुए थे, जहां उनके ऊपर बाघ ने हमला कर दिया।

इस दौरान बाघ से काफी समय तक मुकाबला के बाद पहले दिन बाघ वापस चला गया। अगले दिन भी बाघ ने बेचू यादव के ऊपर हमला किया, लेकिन फिर काफी देर मुकाबला के बाद बाघ थक हार कर वापस चला गया, लेकिन तीसरे दिन ऐसा नही हुआ। तीसरे दिन बाघ के हमले में बेचू ने प्राण त्याग दिया। बेचू के मौत की खबर के बाद बेचू की पत्नी बारह दिन के बच्चे के साथ मौके पर जाकर सती हो गईं। ऐसे में उन्हें बरहिया माई के नाम से जाना जाता है। कुछ दिन बाद जंगल में बने समाधि स्थल पर जाने से लाभ होने लगा, जिसके बाद उक्त स्थान बेचूबीर के नाम से विख्यात हो गया।

 

धाम में आने से होती है मान्यता पूरी

मान्यता है कि जो भी अपना मुराद लेकर इस धाम में आता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। बेचूबीर धाम को लेकर कहा जाता है कि यहां आने से संतान की प्राप्ति होती है, यहीं नही तथाकथित भूत-प्रेत, डायन, चुडै़ल से भी मुक्ति मिलती है। बेचूबीर धाम में यह मेला कार्तिक की नवमी को आयोजित होता है, जहां एकादशी तक चलता है। एकादशी की रात में मनरा बजने के बाद मेले का समापन का हो जाता है। इस तीन दिवसीय मेला को भूतों का मेला भी कहा जाता है।

 

विज्ञान को चुनाैती देता है बेचूबीर मेला

 

विज्ञान और चिकित्सा के लिए चुनौती है। अब इसे अंधविश्वास कहे या फिर आस्था लेकिन लोगों का मानना है कि यहां आने से तथाकथित भूत, प्रेत, चुरेल से मुक्ति मिलती है। यहीं नही गंभीर बीमारी मुक्ति या जिनको संतान नही है, उन्हे संतान की भी प्राप्ति होती है। तीन दिवसीय इस मेले में बिहार, बंगाल, मध्यप्रदेश, सहित उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, चन्दौली, बनारस, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, प्रयागराज सहित अन्य प्रांतों से लोग आते है।

 

सुरक्षा के दृष्टि से पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था रही

 

मेला क्षेत्र को 2 जोन 4 सेक्टर में विभाजित कर लगाई गई पुलिस कर्मियों की ड्यूटी।

जिसमें 4 थाना प्रभारी, 50 सब इंस्पेक्टर, 50 उपनिरीक्षक, 165 कांस्टेबल, 55 महिला पुलिस, 15 यातायात पुलिस सहित एक प्लाटून पीएसी बल लगाई गई।

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