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शिक्षकों में होनी चाहिए बौद्धिक ईमानदारी और कार्य के प्रति निष्ठा

रिपोर्ट ब्यूरो गोरखपुर

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी-एचआरडीसी केंद्र के द्वारा आयोजित तृतीय फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के व्याख्यान सत्र को संबोधित करते हुए राजीव गांधी विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के अग्रेजी विभाग के प्रो. भगवत नायक ने शोध और शिक्षण में नैतिकता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षण और शोध में नैतिकता का समावेश आवश्यक है। बिना नैतिकता के कोई भी शोध या शिक्षा सफल नहीं हो सकती। शिक्षकों में बौद्धिक ईमानदारी और कार्य के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। नैतिकता सही और गलत में भेद करना बताती है।

फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के तृतीय सत्र में प्रख्यात साहित्यकार इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रयागराज के हिंदी विभाग के प्रो योगेंद्र प्रताप सिंह ने भारतीय शिक्षा नीति एवं भारतीय भाषाओं के महत्व पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मातृ भाषा के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। पारंपरिक ज्ञान को जोड़ते हुए जब हम आगे बढ़ेंगे तभी हम पुरानी भाषाओं को संरक्षण दे पाएंगे। नई शिक्षा नीति में मौलिकता को महत्व दिया गया है।
प्रथम सत्र में गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो अनिल द्विवेदी ने प्रोफेशन एवं हेल्थ विषय पर बात रखते हुए कहा कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होने पर ही अपनी क्षमता का अधिकतम प्रदर्शन किया जा सकता है। आज की जीवन शैली में स्वास्थ्य को लेकर अधिक सचेत होने की जरूरत है।

कोर्स समन्वयक प्रो अजय कुमार शुक्ला ने विषय प्रवर्तन किया। एचआरडीसी निदेशक प्रो रजनीकांत पाण्डेय ने स्वागत भाषण दिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ मनीष पाण्डेय ने एवं अलग-अलग सत्रों का संचालन डॉ तनु श्रीवास्तव एवं डॉ अकील अहमद ने किया।

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