रिपोर्ट ब्यूरो गोरखपुर
गोरखपुर। स्टार हॉस्पिटल में सफल टेस्ट ट्यूब बेबी द्वारा 26 दिसंबर 2021 को एक गोष्ठी का आयोजन हुआ है जिसका विषय था पुरुषों में बढ़ती इनफर्टिलिटी की समस्या। डॉ सुरहिता करीम ने बताया कि इनफर्टिलिटी की समस्या से केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी परेशान होते है I अधिकतर पुरूषों में इनफर्टिलिटी के कारण शुक्राणु की संख्या में कमी इनकी खराब गुणवत्ता,होती हैI सीमेन यानी वीर्य में स्पर्म काउंट कम होने पर महिला को गर्भधारण करने में समस्या आती है। लोग खुल के इस बारे में बात नहीं कर पाते जिसका फायदा झोलाछाप डॉक्टर उठाते हैं।
गोष्ठी का संचालन सुप्रिया सिंह एम्ब्र्योलॉजिस्ट ने किया उन्होंने SQA QWIK CHECK मशीन क बारे में बताया जो की पुरूषों क शुक्राणु की गुणवक्ता बताती है I गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ रीना श्रीवास्तव बी.आर.डी मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष एवं डॉ अरविंद तिवारी यूरोलॉजिस्ट ने किया ।
डॉ अरविन्द तिवारी यूरोलॉजिस्ट ने कहा की मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी असामान्य या खराब शुक्राणु के उत्पादन के कारण हो सकती है I पुरुषों में यह संभावना हो सकती है कि उनके शुक्राणु उत्पादन और विकास के साथ कोई समस्या नहीं हो, लेकिन फिर भी शुक्राणु की संरचना और स्खलन की समस्याएं स्वस्थ शुक्राणु को स्खलनशील तरल पदार्थ तक पहुंचने से रोकती है और आखिरकार शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब तक नहीं पहुंच पाता, जहां निषेचन हो सकता है I शुक्राणु की कम संख्या शुक्राणु वितरण की समस्या का सूचक हो सकती है’.उन्होंने कहा कि आमतौर पर पुरुषों में बांझपन के लक्षण दिखते नहीं. शुक्राणुओं की गुणवत्ता की जांच केवल इनफर्टिलिटी के संभावित कारण को जानने के लिए किए जाने वाले चिकित्सा परीक्षण के माध्यम से की जा सकती है | अभी तक सीमेन की जाँच केवल मैन्युअल तकनीक से होती थी |
डॉ रीना श्रीवास्तव ने पूर्वांचल में पहली बार,स्टार हॉस्पिटल में,ऑटोमेटेड सीमेन अनलाइज़र मशीन को इनफर्टिलिटी क इलाज़ में एक महत्वपूर्ण टेक्निकल अडवांस्मेंट बताया है I
डॉ. ज़ीशान करीम यूरोलॉजिस्ट ने बताया कि मेल इनफर्टिलिटी के लिए तीन या अधिक प्राथमिक कारक हो सकते हैं ओलिगोजोस्पर्मिया (शुक्राणुओं की कम संख्या), टेराटोजोस्पर्मिया (शुक्राणुओं की असामान्य रूपरेखा) और स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर. मेल इनफर्टिलिटी के करीब 20 प्रतिशत मामलों में स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर ही जिम्मेदार होते हैं.उन्होंने बताया कि स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर के कारण ज्यादातर पुरुषों में शुक्राणु के एकाग्रता में कमी आ जाती है और शुक्राणु महिला की कोख तक सुरक्षित रूप से पहुंचने में अक्षम होता है. वर्ष 2015-2017 के बीच किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, यह देखा गया कि आईवीएफ प्रक्रिया कराने को इच्छुक दंपतियों में, 40 प्रतिशत अंतर्निहित कारण पुरुष साथी में ही थे. प्रत्येक पांच पुरुषों में से एक पुरुष में स्पर्म ट्रांसपोर्ट
की समस्या थी. सर्वेक्षण में उन पुरुषों को भी शामिल किया था जिन्होंने वेसेक्टॉमी करा ली थी, लेकिन अब बच्चे पैदा करना चाहते थे.
डॉ. ज़ीशान करीम का कहना है कि शुक्राणु का उत्पादन वृषण में होता है और इसे परिपक्व होने में 72 दिन का समय लगता है. उसके बाद परिपक्व शुक्राणु गतिशीलता प्राप्त करने के लिए वृषण से अधिवृषण (एपिडिडमिस) में चला जाता है और 10 दिनों के बाद यह अगले संभोग में बाहर निकलने के लिए तैयार होता है. लेकिन ट्यूब में कुछ अवरोध होने पर स्खलित वीर्य में शुक्राणुओं की पूरी तरह से कमी हो सकती।
इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉक्टर विजाहत, डॉ मधु गुलाटी, डॉ मधुबाला, डॉक्टर चित्रांशा, डॉ मीनाक्षी गुप्ता , डॉ प्रतिभा गुप्ता , डॉ अमृता जयपुरियार , डॉ आफरीन रिज़वी , डॉ सुगंध श्रीवास्तव , डॉ विनोद श्रीवास्तव, डॉ हर्षवर्धन राय उपस्थित रहे I एवं अहमद, स्वप्निल श्रीवास्तव, अपराजिता यादव, वशी, कलीम आदि स्टार हॉस्पिटल के स्टाफ का सहयोग रहा |