रिपोर्ट – अशोक सागर
गोंडा। गांवों में ही जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए उप स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से बदहाल हैं। जिन सेंटरों पर महिलाओं का टीकाकरण, बच्चों की देखभाल तथा गर्भवती महिलाओं की देखरेख होनी है उसमें अधिकांश में ताले लटक रहे हैं।
एएनएम की मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। कुछ केंद्र तो मवेशियों के विश्राम स्थल बन गए हैं तो कुछ की मरम्मत न होने के कारण जर्जर हो चुके हैं। कई सेंटरों पर दशकों से एक भी प्रसव नहीं हो सका है। ऐसे में गर्भवती तथा धात्री महिलाओं को भटकना पड़ रहा है।स्वास्थ्य स्वच्छता समिति का पैसा कहां जा रहा है इसका भी जवाब किसी के पास नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्राम पंचायत व एएनएम के संयुक्त खाते में हर साल 20 हजार रुपये स्वास्थ्य विभाग की ओर से भेजा जाता है।
स्वास्थ्य के लिहाज से साफ सफाई कराने की जिम्मेदारी एएनएम व प्रधान की होती है। प्रधान अलग से साफ सफाई के लिए धनराशि का आहरण करते हैं, लेकिन इस खाते की धनराशि के बारे में शायद ही गांव के लोग जानते हों लेकिन जिले की 1204 ग्राम पंचायतों में हर साल करीब ढाई करोड़ की धनराशि के एवज में गंदगी ही देखने को मिलती है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलसर के नगदही उपकेंद्र का भवन जर्जर स्थित में है। यहां मरीजों को भर्ती किए जाने वाला बेड बाहर मैदान में तथा गद्दा जमीन पर पड़ा दिखाई पड़ा। भवन के खिड़की दरवाजे टूटे तथा फर्श उजड़ चुकी है। स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बताया कि जर्जर भवन होने के कारण वे लोग पास के स्कूल में बैठती हैं। संसाधन व बिजली न होने के कारण पिछले ग्यारह साल से यहां एक भी प्रसव नहीं हो सका।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हलधरमऊ के उप स्वास्थ्य केंद्र बालपुर का भवन बनने के बाद से ही कभी संचालित नहीं हुआ। भवन के चारों तरफ बड़ी-बड़ी घास उगी दिखाई पड़ी। गांव के ही अविनाश सिंह ने बताया कि यहां करीब दस साल से ताला लटका हुआ है। कई बार शिकायत की गई लेकिन इसकी बदहाली दूर नहीं हो पाई।हलधरमऊ के उप स्वास्थ्य केंद्र परसा कोड़री में ताला बंद मिला। देखने से लग रहा है कि यहां कई वर्षो से ताला नहीं खोला गया। परिसर के अंदर बड़ी बडी घास उगी दिखाई पड़ रही है। गांव के लोगों ने बताया कि यहां वर्षों से कोई आया ही नहीं जिससे गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सीएचसी या जिला अस्पताल में जाना पड़ता है।
हलधरमऊ सीएचसी अर्न्तगत उप स्वास्थ्य केंद्र गोगिया में ताला लटक रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि यहां वर्षो से ताला लटक रहा है। यहां न कोई एएनएस आती न ही अन्य स्वास्थ्य कर्मी। जिससे करीब दर्जन भर मजरों की गर्भवती व धात्री महिलाओं को सीएचसी या जिला अस्पताल की ओर रुख करना पड़ रहा है। कई बार मांग करने के बावजूद एएनएम सेंटर का ताला नहीं खुल सका।
उप स्वास्थ्य केंद्र करुवापारा का भवन तो नया था लेकिन केंद्र के बाहर ताला लटका रहा। करुवापारा निवासी विनय पांडेय से पूछने पर पता चला कि स्वास्थ्य उपकेंद्र कभी कभार ही खुलता है।
वहीं परसिया बहोरीपुर के अलख राम गुप्ता ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास होने के बावजूद उप केंद्र कभी नहीं खुलता है। यहां पर तैनात है एएनएम अपने सुविधानुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से ही काम निपटा लेती हैं।