रिपोर्ट रमेश चन्द्र त्रिपाठी
गोरखपुर। सहजनवां तहसील अंतर्गत ग्राम भरसाड़ में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा आंगनबाड़ी केंद्र बयां कर रहे हैं उनकी दशा देखकर कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री के गृह जनपद में सहजनवा तहसील से 5 किलोमीटर के दायरे में सरकारी धन का किस तरह उपयोग हो रहा है इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है एक तरफ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहजनवा में आए दिन मरीजों को बाहर की दवा लिखी जाती है और कहा जाता है अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं दूसरी तरफ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भरसाड़ में चाहे होम्योपैथिक की दवा हो
एलोपैथिक की दवा हो उसे जमीन में दबाया जा रहा है उसे फेंक दिया जाता है उसे नष्ट कर दिया जाता है लेकिन मरीजों को नहीं दिया जाता है उन्हें विवश किया जाता है कि वह बाहर की दवा खरीदें और वहां दवा डॉक्टर अस्पताल की दवा पहुंचाते हैं और उसको पैसा देकर के आम पब्लिक खरीदती हैऔर आज हमारे संवाददाता जब वहां पहुंचे तो लोगों से पूछने पर पता चला जहां चिकित्सक का आवास बना हुआ है जब से बना तब से आज तक कोई रात्रि निवास नहीं किया
होम्योपैथिक का अस्पताल बना हुआ है वहां जाने पर लगता है सांप बिच्छू जहरीले जानवरो का उसमें निवास होता है ऐसी दशा में संबंधित विभाग के अधिकारी उन डाक्टर वह कर्मचारी तथा आंगनबाड़ी कार्यकत्री से बात करके पूछे कि जब से अस्पताल बना है तथा जब से आप की ज्वाइनिंग हुआ है आप कितनी रात्रि निवास कीये हैं क्या यहां कोई दवा लेने आता है यह सरकार से वेतन लेकर हराम के खाने वाले कर्मचारी वेतन फ्री का लेते हैं सरकार से दवा फ्री का लेते हैं और लाकर के गड्ढे में दबा देते हैं जिससे एक भी मरीज को दवा नहीं मिलती है और न कोई वहां मरीज जाता है और ना जाने लायक है दिन में जाने से डर लगता है रात को इमरजेंसी होगी तो सारे लोग सजनवा आते हैं ऐसा अस्पताल बनवा करके ऐसे डॉक्टरों की नियुक्ति करके सरकार को क्या फायदा है
सरकार आम जनता के लिए सड़क पानी बिजली स्वास्थ्य संबंधी सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का एक तरफ दावा करती है और एक तरफ यह देशद्रोही कर्मचारी सरकार की मंशा पर पानी फेरने पर लगे हैं अर्थात इसका अभिलंब जांच कराकर के संबंधित डॉक्टर नर्स चपरासी जो भी कर्मचारी हैं उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। ताकि आम जनता को सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए सुविधा का लाभ मिल सके। और अगर इन स्वास्थ्य केंद्रों पर दवा का दुरुपयोग होना बन्द हो जाय तो सायद निकट स्वास्थ्य केंद्रों पर दवा की कमी समाप्त हो जाती और सभी आने वाले मरीजों को जरुरत की हर दवा मिलने लगती।