–कुमार विश्वास ने कि जीवन मूल्यों एवं सबरी के बेरों पर चर्चा
मनीष दवे IBN NEWS
भीमनाल :–श्री नीलकंठ महादेव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की प्रथम वर्षगाँठ पर आयोजित कार्यक्रम के तहत आज दिनांक 8 फरवरी 2024 को प्रेम सिंह राव के सानिध्य में स्कूल ऑफ राम द्वारा रामायण सेंटर का बड़े ही हर्षोल्लास से शुभारंभ किया गया।
प्रेम सिंह राव ने कहा कि स्कूल ऑफ़ राम एक ऑनलाइन स्कूल है, जिसमें युवा से लेकर बुजुर्गों सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभु श्री राम के जीवन को आदर्श मानते हुए विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्सेज निःशुल्क करवाए जाते है।यह सेंटर प्रिंस तिवाड़ी जी द्वारा संचालित है, प्रिंस आईआईटी बीएचयू से पढ़े हुए है। आज के कार्यक्रम में वक्ता राघव शर्मा थे। राघव आईआईटी जोधपुर एवं एमबीएम जोधपुर से पढ़े हुए है।
प्रेम सिंह राव का मानना है, इस संसार में प्रभु श्री राम के जीवन से बड़ा कोई आदर्श नहीं। इस स्कूल के सेंटर में आधुनिक अध्यात्म को विज्ञान से जोड़ते हुए वैदिक पद्धति से युवाओं को पढ़ाया जाएगा।
प्रेम सिंह राव कहते है कि, पूरे विश्व में ऐसा कोई मैनेजमेंट का ऐसा कोर्स नहीं जो प्रभु श्री राम के जीवन आदर्शों से अच्छा हो तो हमारे युवाओं को प्रभु श्री राम के जीवन मूल्यों से अवगत करवाना सबसे महत्वपूर्ण है, इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए प्रेम सिंह राव ने ये उठाते हुए इसका सेंटर भीनमाल में सेंटर खोलने का निर्णय लिया जिसका उद्देश्य यहाँ के युवाओं को प्रभु श्री राम के आदर्शों को जीवन में उतार कर सशक्त बनाना है।
अपने अपने राम में ये रहा ख़ास —
आज की रामकथा में युग वक्ता डॉ॰ कुमार विश्वास जी ने रामकथा के माध्यम से जीवन मूल्यों पर चर्चा की। कथा के आरंभ में किसी जिज्ञासु ने उनसे एक सवाल पूछा था कि “अयोध्या का अनुभव कैसा रहा इस बारे में बताते हुए कुमार जी एक बेहद रोचक और भावपूर्ण कविता सुनाई और उसके माध्यम से राम लला के विग्रह को प्रथम बार देखने का अपना अनुभव बताया।
उन्होंने कथा में लक्ष्मण, कैकेयी सुमित्रा और शबरी जैसे राम कथा के प्रमुख पात्रों पर बहुत विस्तृत चर्चा की। राम दूत हनुमानजी का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह बताया कि आख़िर हनुमान श्रीराम के इतने प्रिय क्यों है ? तथा वे अयोध्या में ही क्यों निवास करते हैं ? इसके साथ-साथ उन्होंने हनुमान जी के संवाद कौशल की तारीफ़ करते हुए बताया कि वर्तमान स्थिति में सशक्त भारत की भाषा कैसी होनी चाहिए। राधेश्याम रामायण के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उन्होंने जीवन में सशक्त और स्पष्ट संवाद की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।
कथा में उन्होंने श्रीराम द्वारा शबरी के बेर खाने के प्रसंग पर केन्द्रित एक बेहद रोचक और मार्मिक गीत भी प्रस्तुत किया।