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अमर शहीद वीरांगना महारानी अवंती बाई लोधी का 165 वां बलिदान दिवस मनाया

फरीदाबाद से बी.आर.मुराद की रिपोर्ट

फरीदाबाद:लोधी राजपूत जनकल्याण समिति (रजि.) फरीदाबाद द्वारा अमर शहीद वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी चौक एनआईटी फरीदाबाद में शहीद वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी जी का 165 वां बलिदान दिवस समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भूदेव सिंह आर्य ने की। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व विधायक नगेन्द्र भड़ाना,विशिष्ट अतिथि के रूप में हिन्दूवादी नेता भुवनेश्वर हिन्दुस्तानी,युवा नेता सचिन तंवर,बिट्टू बजरंगी, सुनील यादव,स्वामी वीर भद्र,रवि वर्मा,सम्पत्त सिंह लोधी,अभय लोधी,अर्जुन सिंह लोधी,उदयवीर सिंह लोधी,भाजपा नेता मनोज बलियान मौजूद थे। सभी अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

मुख्य रूप से समिति के संस्थापक-महासचिव लाखन सिंह लोधी,अध्यक्ष रूपसिंह लोधी, धर्मपाल सिंह लोधी,होतीलाल लोधी,दीपक यादव,विजयपाल सिंह,लोधी,राजेश लोधी,सुधीर लोधी,पूरन सिंह लोधी,नंद किशोर लोधी,ओमप्रकाश लोधी,अमरजीत रंधावा,माधवी सक्सेना,सुखदेवी लोधी,आशा लोधी,वीर सिंह,राजकुमार विशेष रूप से मौजूद थे। इस मौके पर आए हुए सभी अतिथियों ने अमर शहीद वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी चौक पर पौधारोपण भी किया। लाखन सिंह लोधी ने बताया अमर शहीद वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी का जन्म 16 अगस्त 1831 को मध्यप्रदेश के जबलपुर के पास मनकेड़ी के जमींदार राव जुझार सिंह लोधी परिवार में हुआ था। बचपन से ही शस्त्रों से लगाव था।

इनका विवाह रामगढ़ के युवराज विक्रमा जीत सिंह के साथ हुआ जिनकी दो संतानें अमान सिंह और शेरसिंह थे। 1857 स्वतंत्रता संग्राम की पहली नायिका जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया। एफआरआर.रैडमैन द्वारा 1912 में सम्पादित मण्डला गजेटियर में इनकी वीरता की गौरवगाथा अंकित है।15 जनवरी 1858 के युद्ध में रानी के पलटवार से कैप्टन वाडिंग्टन तो अपनी जान बचाकर भाग गया परन्तु वाडिंग्टन का बेटा रोमियो नामक बालक मैदान में रह गया जिसे सहृदयता रानी ने अंग्रेजी कैम्प में अपने सैनिकों से भिजवा दिया।

वाडिंग्टन ने प्रभावित होकर रानी को पत्र लिखा कि आप बगावत छोड़ दें तो सरकार की ओर से आपका राज्य सुरक्षित रहेगा। रानी के मना करने पर वाडिंग्टन ने हमले किये जिस कारण रानी के कुशल नेतृत्व में कई युद्ध हुए,पुन:वाडिंग्टन ने 20 मार्च 1858 को लैफ्टीनेंट वार्टन एवं लैफ्टीनेंट कॉकवर्न और रीवा नरेश के साथ मिलकर हमला किया दोनों ओर से भयंकर युद्ध हुआ अंग्रेजी सेना काफी बड़ी होने के कारण। रानी ने घायल होने पर चारों ओर से घिरा देख स्वयं की कटार आत्म बलिदान कर देश पर शहीद हो गई। ऐसी वीरांगना की गाथा पाठ्यक्रम में शामिल करनी चाहिए। जिससे युवा पीढ़ी को पता चले कि आजादी कैसे मिली।

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