ब्यूरो चीफ झाँसी।
रिपोर्ट – महेन्द्र सिंह सोलंकी।
झाँसी 9 नवंबर। बुन्देलखण्ड में दीपावली पर्व पर पारम्परिक मौनियां नृत्य का विशेष महत्व माना जाता है जिसे दिवारी नृत्य व चांचर नृत्य भी कहा जाता है जो वर्तमान में बहुत कम देखने को मिलता है।
महापर्व दीपावली के दूसरे दिन प्रथमा तिथि को गोवर्धन पूजा पर गरौठा तहसील के ग्राम पंचायत गुढ़ा में आज भी ग्राम वासी इस पारम्परिक मौनियां नृत्य को दीपावली पर्व पर बड़े ही उल्लास से मनाकर विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे इस पारम्परिक बुन्देलखण्ड की विधा को सहेजने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं।हर वर्ष की तरह आज भी गोवर्धन पूजा के दिन मौनियां बनकर निकले ग्रामीण नव युवकों ने भ्रमण पर जाने से पहले हटवारा प्रांगण में ढोलक नगड़िया की थाप पर जमकर दिवारी नृत्य किया। तथा अनेक करतब दिखाकर दर्शकों का मन मोह लिया। दिवारी गायन हरलाल अहिरवार व घनश्याम प्रजापति ने तथा ढोलक पर जित्तू मास्टर एवं नगड़िया पर टिकली अहिरवार ने संगत की।पिछले वर्षों की अपेक्षा आज दर्शकों की काफी ज्यादा भीड़ रही।
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